ऐसा क्यों होता है कि देश के विकास या परिवर्तन में किसी न किसी को अपनी बलि देनी पड़ती है। ऐसा क्यों होता है कि लोग किसी के खून के छिंटों से ही जाग पाते हैं। आज देश को जगाने में प्रद्युमन नामक बालक ने अपनी बलि दे दी। नहीं तो अब तक न देश की सरकार को किसी स्कूल के व्यवस्था की चिंता थी और न ही देश की जनता को। आज सब एक सुर में देश के हर स्कूल के चाकचौंबद की बात कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इससे पहले स्कूल के व्यवस्थाओं पर प्रश्न चिन्ह लगाए नहीं जाते थे। देश की मीडिया सरकार को जगाने का प्रयास करती रहती थी। लेकिन शायद सरकार को किसी प्रद्युमन का इंतजार था। प्रसिद्ध पटकथा लेखक, गीतकार और सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसुन जोशी ने एक कविता पोस्ट की है जो बताता है कि शोक नहीं सोच का वक्त है…….. इस समय सबकुछ गलत है।

बता दें कि गुरुग्राम के रैयान इंटरनेशनल स्कूल में दूसरी कक्षा के छात्र प्रद्युम्न ठाकुर (7 वर्षीय) की बीते शुक्रवार को स्कूल परिसर में चाकू से गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। उसका शव स्कूल के वॉशरूम से बरामद हुआ था। वहीं दिल्ली में शाहदरा के गांधी नगर इलाके में शनिवार को टैगोर पब्लिक स्कूल के परिसर में चपरासी द्वारा पांच साल की बच्ची का बलात्कार किया गया।

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