बिहार के मुजफ्फरपुर और उत्तर प्रदेश के देवरिया में बाल गृह में हुए दुष्कर्मों की घटनाओं की सीबीआई जांच की जा रही है। जल्द ही इसके गुनहगार लोगों के सामने होगा। लेकिन इस तरह की घटनाओं से पूरे देश में गुस्सा में है। इस बीच केंद्र सरकार ने इस प्रकार के एनजीओ को लेकर कड़ा कदम उठाया है। महिला और बाल विकास मंत्रालय ने देश भर के 9,000 से ज्यादा बाल देखभाल संस्थानों और आश्रय गृहों को दो महीने के भीतर सरकार के साथ पंजीकरण कराने का निर्देश दिया है और साथ ही इस बीच इनका सामाजिक ऑडिट भी हो जाना चाहिए।

बाल अधिकार संरक्षण आयोग को ऑडिट कराने की जिम्मेदारी दी गई है और दो महीने के भीतर मंत्रालय को रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है। देश में कुल 9462 बाल देखभाल संस्थान है इसमें से 7,109 पंजीकृत है। इन बाल देखभाल संस्थानों को चलाने के लिए सरकार कोष मुहैया कराती है और इन संस्थानों को चलाने के लिए राज्य एनजीओ की सहायता लेते हैं। महिला, बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि पिछले दो सालों से मैं सांसदों को पत्र लिख रही हूं जिसमें उनसे अपने इलाकों के शेल्टर होम  का दौरा करने का अनुरोध किया गया। हमने एनजीओ से शेल्टर होम का ऑडिट कराया और उन्होंने कुछ भी असामान्य नहीं होने की बात कही जिसका मतलब था कि उन्होंने इसे व्यापक तरीके से नहीं किया।

शेल्टर होम की बदहाल स्थिति पर महिला, बाल विकास मंत्री का ये बयान ऐसे वक्त आया है। जब उत्तर प्रदेश के देवरिया में एक शेल्टर होम में यौन उत्पीड़न के आरोप सामने आने के बाद 24 लड़कियों को बचाया गया। नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण का मामला पहली बार अप्रैल में सुर्खियों में आया जब टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान ने बिहार में शेल्टर होम पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट राज्य के समाज कल्याण विभाग को सौंपी। इसमें मुजफ्फरपुर में शेल्टर होम में लड़कियों के साथ यौन दुर्व्यवहार की आशंका व्यक्त की गई जिसकी बाद में चिकित्सा जांच में पुष्टि हुई। एक के बाद एक हुए खुलासों के बाद मेनका गांधी ने इन घटनाओं पर हैरानी व्यक्त की और आशंका जताई की कि ऐसे कई और मामले हो सकते हैं जिनका खुलासा होना अभी बाकी हैं।

एपीएन ब्यूरो

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