इन दिनों यूपी और उत्तराखंड का चुनाव चर्चा का विषय बना हुआ है। इन राज्यों में लड़ाई भाजपा-कांगेस-सपा-बसपा के बीच में हो रहीं है। भाजपा का प्रदर्शन यहां कैसा होगा इसका फैसला तो 8 मार्च होगा पर ओड़िसा में हो रहे पंचायत चुनावों में तो भारतीय जनता पार्टी ने तहलका मचा दिया है। ओड़िसा में निकाय चुनाव के पहले चरण में ही भाजपा ने बड़ा फेरबदल करते हुए 854 सीटों में से 65 सीटें जीत ली हैं।

भाजपा के इस शानदार प्रदर्शन की वजह से सत्ताधारी दल बीजू जनता दल को झटका लगा है। जबकि 2012 के निकाय चुनावों में भाजपा 854 में से मात्र 36 सीटें ही जीत पाई थी। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का प्रर्दशन भाजपा के सामने एक बार फिर कमजोर रहा और वो इस बार के चुनाव में सिर्फ 11 सीट ही जीत पाई जबकि अन्य के खाते में 5 सीटें आ पाई।

ओड़िसा में अभी 3 चरण के चुनाव होने बाकी है और उम्मीद लगाई जा रही है कि इस बार भाजपा अपना यही प्रदर्शन जारी रहेगा। भाजपा ने चुनाव से पहले कहां था कि जिला पंचायत चुनाव विधानसभा चुनावों के लिए ट्रेलर हैं और इन चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन ही आगे का रास्ता साफ करेगा।

इन चुनावों में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बीजेपी के लिए चुनावी प्रचार मोर्चा का संभाला है। इस दौरान उन्होंने कहा कि नतीजे दर्शाते हैं कि मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का वजूद धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे है और बीजद का खेल जल्द समाप्त गो जाएगा। वहीं सत्ताधारी बीजद का दम दिखाते हुए उनके प्रवक्ता शशिभूषण बहेरा ने कहा कि अभी एक चरण के चुनावों के नतीजे ही आए है अभी तीन चरणों के नतीजे आने बाकी हैं।

दरअसल, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक इस बार भी अपने पार्टी की एकतरफा जीत की उम्मीद लगाएं बैठे थे लेकिन बीजेपी ने उनका ऐसा सफाया किया कि जिन सीटों पर बीजद की खास पकड़ थी वहां भी उसे बीजेपी ने शिकस्त दे दी। 2012 के निकाय चुनावी नतीजों पर नज़र डाले तो 651 सीटों के साथ बीजद नंबर एक, 128 सीटों के साथ कांग्रेस नंबर जबकि भाजपा मात्र 36 सीट ही अपने नाम कर पाई थी। अब देखना दिलचप्स होगा कि आने वाले चुनावों में भाजपा, बीजद और कांग्रेस के बीच कैसी टक्कर होगी।

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