केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को उद्योग जगत के एक कार्यक्रम में स्वीकार करते हुए कहा कि बैंकिंग प्रणाली लोगों की अपेक्षा के अनुरूप काम करने में नाकाम रही है। बैंक कर्मियों से जिस उच्च नैतिक मानदंडों की उम्मीद की गई, वे उस पर खरे नहीं उतरे। उन्होंने कहा कि सरकार सभी सरकारी बैंकों को पर्याप्त पूंजी की मदद देगी। गोयल ने यह भी स्वीकार किया कि पूर्व में सरकारी बैंकों में राजनीतिक हस्तक्षेप रहा है, लेकिन वर्तमान सरकार में किसी भी मंत्री ने बैंकों के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं किया है।

बता दें कि पीयूष गोयल ने यह बात बैंकों के फंसे कर्ज के समाधान के लिए सुनील मेहता समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के एक दिन बाद कही। यहीं नहीं समिति ने एक परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी गठित करने का सुझाव दिया है। यह 500 करोड़ रुपये तक के डूबे कर्जों के मामलों का समाधान निकालेगी। पीयूष गोयल ने बताया कि सरकारी बैंकों के नियमन के संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक की शक्तियों पर बात करने के लिए सरकार तैयार है। हाल ही में केंद्रीय बैंक ने इस बात को उठाया था।

उन्होंने यह भी साफ किया कि सरकार की सभी 20 सरकारी बैंकों में अपनी 51% हिस्सेदारी को कम करने की कोई योजना नहीं है। गोयल का यह बयान ऐसे समय आया है जब भारतीय जीवन बीमा निगम के आईडीबीआई बैंक में बड़ी हिस्सेदारी खरीदने की सरकार की योजना का निगम और बैंकिंग क्षेत्र के कर्मचारी संघों ने कड़ा विरोध किया है।

गौरतलब है कि पंजाब नैशनल बैंक में करीब 13,500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के बाद सरकारी बैंकों पर कड़ी निगरानी रखने में असफल रहने को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर उर्जित पटेल आलोचनाओं का सामना कर रहे है। उर्जित पटेल ने हाल ही में कहा था कि सरकारी बैंकों के नियमन के संबंध में रिजर्व बैंक के पास पर्याप्त अधिकार नहीं हैं।

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