प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद के कल से शुरु हो रहे शीतकालीन सत्र के दौरान सभी विवक्षी दलों से सहयोग करने की अपील करते हुए आज कहा कि सरकार जनहित से जुड़े सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज यहां संवाददाताओं को सत्र से पूर्व बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक की जानकारी देते हुए बताया कि मोदी ने पक्ष और विपक्ष को एक दूसरे का सहयोग करने तथा जनहित से जुड़े मुद्दों पर सभी पक्षों को मिलकर निर्णय करने का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि जनहित और राष्ट्रहित में शीतकालीन सत्र का उपयोग किया जाना चाहिए।

तोमर ने कहा कि विपक्ष नियम और प्रक्रियाओं के तहत जनहित से संबंधित मुद्दों को उठाये, सरकार उस पर चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दल किसानों की समस्यायें और वित्तीय स्थिति पर पर चर्चा कराना चाहते है। कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में जो निर्णय होगा उसके अनुरुप कार्य किया जायेगा।

संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि 29 दिन के इस सत्र में कुल 20 बैठकें होगी । इस दौरान कामकाज के लिए 46 मुद्दे निर्धारित किये गये हैं जिनमें विधेयक, तीन अध्यादेश और अनुपूरक बजट भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों ने सत्र के दौरान सहयोग का आश्वासन दिया है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नवी आजाद और आनंद शर्मा ने बताया कि उनकी पार्टी संसद सत्र चलाने और विधेयक पारित कराने में सहयोग करेगी लेकिन राफेल विमान घोटाले, बेरोजगारी, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव, किसानों की समस्यायें, महिला सुरक्षा और केन्द्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग पर भी चर्चा करायी जानी चाहिये। उन्होंने कहा कि कांग्रेस लम्बे अर्से से राफेल विमान घोटाले की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराने की मांग करते रही है लेकिन सरकार इस पर कोई निर्णय नहीं कर सकी है ।

आजाद और शर्मा ने हाल में हुए विधान सभा चुनावों की चर्चा करते हुए कहा कि मोदी सरकार के साढे चार साल के शासन के दौरान लोगों का इलेक्ट्रेनिक वोटिंग मशीन पर से विश्वास उठ गया है । इन चुनावों में सत्तरुढ दल ने ईवीएम मशीनों का दुरुपयोग किया है। इन चुनावों के दौरान ईवीएम को निजी मकानों, होटलों, सड़कों और वाहनों में पाया गया है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को लेकर लोगों के मन में संदेह उत्पन्न हो गया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार केन्द्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। इनका उपयोग राजनीतिक दलों को डराने-धमकाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा रिजर्व बैंक की स्वायत्ता, किसानों की समस्याएं, महिला सुरक्षा, पेट्रोल और डीजल की कीमतें और डालर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमतें बड़े मुद्दे हैं जिन पर चर्चा करायी जानी चाहिये।

-साभार, ईएनसी टाईम्स

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