उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा समितियों को राज्य सरकार द्वारा दी जा रही आर्थिक मदद पर रोक लगाने से शुक्रवार को इन्कार कर दिया। न्यायालय ने हालांकि राज्य सरकार को नोटिस जारी करके इस बाबत जवाब तलब किया है। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की खंड पीठ ने वकील सौरभ दत्ता की याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को नोटिस जारी करके छह हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा है। इसने, हालांकि प्रत्येक समितियों को दी जाने वाली राशि पर रोक लगाने से इसने इन्कार कर दिया।

न्यायालय ने कहा कि वह इस तरह के मामलों में राशि आवंटित किये जाने के राज्य सरकार के अधिकार पर विचार करेगा।

याचिकाकर्ता की दलील है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य की कम से कम 28,000 दुर्गापूजा समितियों को 10-10 हजार रुपये देने का फैसला किया है लेकिन इस बारे में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप करने से करने का इन्कार कर दिया था।याचिकाकर्ता के अनुसार उच्च न्यायालय ने गत बुधवार को यह कहते हुए याचिका की सुनवाई से इन्कार कर दिया था कि धन खर्च करने का फैसला विधायिका लेती है और उस फैसले में वह इस स्तर पर हस्तक्षेप नहीं करेगा।

दत्ता ने दलील दी है कि राज्य सरकार का फैसला कानून की स्थापित परंपरा के खिलाफ है और उनकी याचिका पर तुरंत सुनवाई होनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि गत 10 सितंबर को राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पूजा समितियों और पुलिस को संबोधित करते हुए दुर्गापूजा के लिए 28 करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया था। इसके साथ ही उन्होंने घोषणा की थी कि न तो कोलकाता नगर निगम की तरफ से लगने वाला टैक्स वसूला जायेगा, न ही पूजा पंडाल के लिए लाइसेंस फीस ली जायेगी।

राज्य सरकार के इस फैसले को उच्च न्यायालय में 19 सितंबर को चुनौती दी गई थी, लेकिन वहां से याचिकाकर्ता को राहत नहीं मिली है, इसलिए उन्होंने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है।

-साभार, ईएनसी टाईम्स

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here