सृजन घोटाले में लापरवाही और हीला-हवाली के आरोप का सामना कर रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि अभी तक ऐसा कोई टकसाल नहीं बना है जो उन्हें खरीद सके। वह बृहस्‍पतिवार शाम जनता दल यूनाइटेड विधान मंडल दल की बैठक को संबोधित कर रहे थे। विधायकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस मामले को उन्होंने खुद उजागर किया है और वह हरसंभव इसके उचित न्यायिक जांच के लिए प्रयत्नशील हैं।

नीतीश ने कहा मामला उजागर होने पर उन्होंने आर्थिक अपराध इकाई को जांच की जिम्मेदारी सौपी थी। फिर इस मामले में कई बैंकों की भूमिका देखते हुए उन्होंने जांच सीबीआई को दे दी। सीबीआई से इस मामले की जांच की अधिसूचना जारी हो चुकी हैं और अगले दो दिनों में जांच शुरू भी कर देगी। अब तक कई एफआईआर हो चुके हैं और लोगों की गिरफ्तारियां भी हो रही हैं। सीएम ने दावा किया कि इसके दोषी चाहे पाताल में ही क्यों न हो, बख्शे नहीं जाएंगे। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

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हलांकि सीएम ने माना कि व्यवस्था में कई खामियां हैं, जिसका फायदा घोटालेबाज उठा रहें हैं। उन्होंने कहा ‘इस मामले ने हमें नई सीख दी है और भविष्य में सृजन की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए वे नई और अचूक व्यवस्था करेंगे। जिलों का ऑडिट कराया जा रहा है, अब हर महीने डीएम सरकार को रिपोर्ट करेंगे।’

अपने ऊपर लग रहे आरोपों पर नीतीश ने कहा कि कुछ लोग हताशा में हताशपूर्ण बयानबाजी कर रहे हैं। वे जिस तरह की भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, उसका परिणाम आने वाले समय में दिखेगा। वे चाहे जो भी आरोप लगा रहे हों लेकिन उनमें कोई दम नहीं है।

नीतीश ने चुटकी लेते हुए कहा कि अभी तो कुछ लोगों में सत्ता जाने का गम है, आने वाले समय में उनका राजनीतिक दम भी निकलने वाला है। उन्होंने राबड़ी देवी का नाम तो नहीं लिया लेकिन कहा कि 2003 से ही यह घोटाला चल रहा था।

इसी बीच राबड़ी देवी ने आरोप लगाया कि इस मामले के कुछ मुख्य गवाह और आरोपी हैं, उनको जहर की सुई देकर मारा जा रहा है। राबड़ी देवी का कहना है कि पूरे मामले की लीपापोती की जा रही है।

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वहीं राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी का आरोप है कि सृजन घोटाला सत्‍ता के संरक्षण में चल रहा था। तिवारी ने कहा कि दो बार 2008 और 2013 में यह घोटाला किसी ना किसी तरीके से उजागर हुआ लेकिन इस मामले को जांच की आड़ में दबा दिया गया।

आपको बता दें कि चालू विधानसभा सत्र में सृजन घोटाला छाया हुआ है लेकिन हंगामे की वजह से अब तक इस मुद्दे पर कोई सार्थक बहस नहीं हो पाई है।

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