बिहार के मुजफ्फरपुर के बालिका आश्रय गृह में बच्चियों के शोषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (14 अगस्त) को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से कई तीखे सवाल पूछे। सुनवाई के दौरान बिहार सरकार ने कोर्ट को बताया कि आश्रय गृह की बच्चियों का पुनर्वास किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को बच्चों के लिए बाल संरक्षण नीति बनाने का भी निर्देश दिया।

मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में यौन शोषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की ओर से की गयी कार्रवाई और बच्चियों के पुनर्वास के बारे में जानकारी मांगी। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज यानी टिस की रिपोर्ट में गोपनीय क्या हैं? कोर्ट ने पूछा कि क्या आप उनकी पहचान को लेकर चितित हैं? बिहार सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इस मामले में बच्चों का पुनर्वास किया जा रहा है। उन्हें मनोश्चिकित्सकों को दिखाया जा रहा है। इसके अलावा फेसबुक पर जिन बच्चों के नाम उजागर किये गये हैं उसको ब्लॉक किया गया है और मामला भी दर्ज करवाया गया है। साथ ही मापदंडों पर खरे ना उतरने वाले कई आश्रय गृहों को बंद किया गया है। राज्य सरकार की ओर से केंद्र को बताया गया कि अक्टूबर तक रिपोर्ट तैयार हो जाएगी।

सुनवाई के दौरान टिस ने कहा कि बच्चों को और ज्यादा सुविधाओं की जरूरत है जो अभी नहीं मिल रही। टिस ने बताया कि बच्चों के पुनर्वास की योजना दी गयी है और इसे तुरंत लागू किये जाने की जरूरत है। टिस ने कोर्ट को ये भी बताया कि वो किसी एजेंसी के साथ काम नहीं कर रहा है।

केंद्र की ओर से कोर्ट को बताया गया कि NCPCR और सरकार की 2 रिपोर्ट हैं। उन्होंने बताया कि ये पता कर लिया गया है कि कितने शेल्टर होम हैं और इऩमे से जेजे ऐक्ट के तहत 32 प्रतिशत रजिस्टर्ड हैं। इस बारे में राज्यों को रिपोर्ट सौंपी गयी है। साथ ही पॉक्सो कानून के तहत 1575 मामले दर्ज हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि कितने मामलों में सजा हुई है? साथ ही किन राज्यों ने कदम उठाये हैं और क्या कदम उठाए हैं? कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि किन राज्यों ने कदम नहीं उठाया है?

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह बच्चों के लिए बाल संरक्षण नीति बनाये ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि कोई अपराध न हो और उनको रोका जा सके। मामले की सुनवाई अब सितंबर में होगी।

 

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