कहने को देश में भले ही लोकतंत्र है और हर आदमी देश के एक ही ‘तिरंगे’ को सलाम करता है लेकिन यहां हर आदमी अलग-अलग रंगों में बंटा है। लेकिन सोमनाथ चटर्जी के परिवार ने उनको किसी भी रंग में रंगने नहीं दिया और वो मरने के बाद तिरंगे से ही लिपटे। दरअसल, लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के परिवार के सदस्यों ने उनके पार्थिव शरीर को उस पार्टी (माकपा)  कार्यालय ले जाने नहीं दिया और न ही परिवार के सदस्यों ने पूर्व अध्यक्ष के पार्थिव शरीर पर माकपा का लाल पताका भी लगाने नहीं दिया। दक्षिण कोलकाता के निजी अस्पताल में सोमनाथ चटर्जी के परिवार के सदस्यों ने माकपा नेताओं की कोई मदद लेने से इनकार कर दिया। इससे माकपा के कई नेता काफी नाराज भी हुए।

सीपीएम के दिग्गज नेताओं को सोमवार को उस समय झटका लगा जब परिजनों ने उन्‍हें घर से बाहर का रास्‍ता दिखाया। बता दें कि सोमवार को सोमनाथ चटर्जी के निधन की खबर सुनकर सीपीएम नेता बिमान बोस और प्रदेश सचिव सूर्यकांत म‍िश्र समेत कई दिग्गज नेता साउथ कोलकाता स्‍थ‍ित उनके घर पहुंचे। यहां सीपीएम नेताओं को देखकर पर‍िवार के लोगों ने अपना आपा खो द‍िया। सोमनाथ चटर्जी के बेटे ने इस दौरान नेताओं को घर में प्रवेश करने से रोक दिया।

उनके बेटे ने कहा कि ‘उन्हें (बिमान बोस को) तुरंत बाहर का रास्ता दिखा दो। वह उन लोगों में से थे, जिन्होंने मेरे पिता को पार्टी से निकाला था।

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