देश में फैले अव्यवस्था में अकेले सरकार ही जिम्मेदार नहीं होती, आम आदमियों से बनते अधिकारियों का भी इसमें काफी योगदान होता है। जानकारी के मुताबिक, प्रशिक्षण विभाग की ताजा रिपोर्ट में अब तक 1800 से ज्यादा आईएएस अफसरों ने अपनी अचल संपत्तियों का ब्यौरा नहीं दिया है। केंद्र सरकार के कड़े निर्देशों के बावजूद देश के अलग अलग राज्यों से कई आईएएस अफसरों ने अभी तक आदेशों का पालन करने की जहमत नहीं उठाई है। सूत्रों की माने तो साल 2016 में 1856 आईएएस अफसरों ने अपनी चल-अचल संपित्तयों का ब्यौरा नहीं दिया।

आज से एक महीने पहले सिविल सर्विस डे के दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आईएएस अफसरों को इमानदारी का पाठ पढ़ाया था। किंतु यह पाठ कितने अफसरों को समझ में आया यह प्रशिक्षण विभाग के आकड़ों ने जगजाहिर कर दिया है। बता दें कि संपत्तियों का ब्यौरा नहीं देने वाले आईएएस अफसरों की सबसे बड़ी फौज उत्तर प्रदेश है। जी हां, यूपी में अब तक 255 आईएएस अफसरों ने अपनी संपत्तियों का ब्यौरा नहीं दिया जबकि दूसरे नम्बर में राजस्थान है जहां 153 आईएएस अफसरों ने संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया। ऐसे ही मध्य प्रदेश कैडर में 118, पश्चिम बंगाल में 109, अरूणाचल-गोवा-मिजोरम जैसे प्रदेशों के 104, गुजरात कैडर के 56, झारखंड के 55, तमिलनाडु के 50, नागालैंड के 43, केरल के 38, बिहार के 74 और महाराष्ट्र के 67 आईएएस अफसरों ने अपनी संपत्तियों का ब्यौरा नहीं दिया।

नियम के मुताबिक, अफसरों को अपनी संपत्ति और कर्ज का ब्यौरा सरकार को देना होता है। यहां तक कि अधिकारी सरकार की अनुमति के बिना 5000 से ज्यादा का तोहफा भी नहीं ले सकते और रिश्तेदारों, दोस्तों आदि से 25000 से ऊपर का तोहफा लेने पर सरकार को अवगत कराना होता है। सरकार अब क्या कदम उठाएगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा किंतु अफसरों की यह लापरवाही निचले स्तर के अफसरों के लिए कोई अच्छा उदाहरण नहीं है।

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