पिछले साल 8 नवंबर को नोटबंदी के लागू होने के बाद, एक से बढ़कर एक समस्याएं सामने आएं। आधी रात से 500 और 1000 के नोटों को बंद करके 500 और 2000 के नए नोट चलन में लाए गए थे। एक झटके में लागू किए इस फैसले के लिए लोग तैयार नहीं थे, पर यह देश की जनता का धीरज ही कहा जाएगा कि देश से काले धन को खत्म करने के नाम पर किए गए इस फैसले को लेकर संयम बनाए रखा।

नोटबंदी की समय सीमा खत्म होने के बाद सूरत से एक खबर आई कि वहां के एक अनाथ आश्रम में रहने वाले 17 साल का सूरज बंजारा और उसकी नौ साल की बहन सलोनी जिनके माता पिता की कुछ वक्त पहले मौत हो गई थी। उनके मां ने कठिन दिनों के लिए उनके लिए 96 हजार 500 रुपये संचित कर रखा था।  लेकिन दोनों बच्चों को इसके बारे में पता नहीं था। जब  उन्हें पता चला, तब तक नोटबंदी के दौरान पुराने नोट बदलने की तारीख निकल गई थी। अब बच्चों के लिए यह रकम बेकार हो चुकी थी

कोटा बाल कल्याण विकास कमेटी ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से नोट बदलवाने की गुजारिश भी की थी लेकिन कुछ नहीं हो सका। हर जगह से हार चुके इन बच्चों ने आखिरी उम्मीद के रुप में पीएम मोदी को पत्र लिखा।

बच्चों ने 25 मार्च को पीएम मोदी को पत्र लिखा था। प्रधानमंत्री मोदी बच्चों के हालात से अवगत हुए और उनके लिखे पत्र का  संज्ञान  लेते हुए जवाब भी दिया। साथ ही, बच्चों की मदद के लिए 50 हजार रुपये भी भेजे। बच्चों को भेजे गए पत्र में मोदी ने लिखा, आपके बारे में सुनकर काफी दुख हुआ। मैं जानता हूं कि दी गई राशि और बीमा आपकी सभी समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते लेकिन कई हद तक कम जरूर कर सकते हैं।’

यह सही है कि प्रधानमंत्री मोदी के भेजे गए रुपये, उनकी हालात को देखते हुए नाकाफी हैं , पर उनके लिए वही रुपये फिलवक्त एक बड़ा संबल हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here