पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अनिल माधव दवे नहीं रहे। 60 वर्षीय माधव का निधन दिल्ली के एम्स में दिल का दौरा पड़ने से हुआ। वह काफी समय से बीमार थे और एम्स में भर्ती थे, जहाँ इनका ईलाज चल रहा था। वह मध्यप्रदेश बीजेपी का बड़ा चेहरा थे और राज्यसभा में 2009 से मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। 5 जुलाई 2016 को उन्हें मोदी मंत्रीमंडल में केंद्रीय मंत्री बनाया गया था।
जानकारी के मुताबिक, अनिल दवे पिछले दो सत्र से संसद और मंत्रालय में नहीं आ रहे थे। कभी- कभी मेडिकल विंग में चेकअप के लिए ही वह संसद आते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर उनके निधन पर शोक जताया और कहा यह मेरी निजी क्षति है।
Absolutely shocked by the sudden demise of my friend & a very respected colleague, Environment Minister Anil Madhav Dave ji. My condolences.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 18, 2017
मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के बड़नगर गांव में 6 जुलाई 1956 को जन्मे दवे ने अपनी आरंभिक शिक्षा गुजरात में हासिल की। उन्होंने इंदौर से ग्रामीण विकास एवं प्रबंधन में विशेषज्ञता के साथ ही वाणिज्य में स्नातकोत्तेर की डिग्री हासिल की। वह कॉलेज के दिनों में एक छात्र नेता और संघ के सक्रिय सदस्य थे।
पर्यावरण सम्बंधी मुद्दों में रुचि होने के कारण वे नर्मदा बचाओ अभियान से भी जुड़े थे। इसके अलावा वह ग्लोबल वार्मिंग संसदीय समिति,जल संसाधन समिति और सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सलाहकार समिति के भी सदस्य थे।
Anil Madhav Dave ji will be remembered as a devoted public servant. He was tremendously passionate towards conserving the environment.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 18, 2017
अनिल दवे को एक प्रखर प्रवक्ता के तौर पर जाना जाता था। हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषा पर उनकी अच्छी पकड़ थी प्रश्नकाल में सवालों का सटीक जवाब देने के कारण विपक्ष भी उनकी तारीफ करता था।