राष्ट्रपति पद को विपक्ष की ओर से उम्मीदवारी को लेकर हो रही चर्चा अब खत्म हो गई है क्योंकि विपक्ष ने बैठक के बाद फैसला लिया है कि पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया जाए। सोनिया गांधी ने बैठक के बाद बताया कि मीरा कुमार विपक्ष की राष्ट्रपति उम्मीदवार हैं। उन्होंने सभी विपक्षी दलों से अपील की कि सभी मिलकर मीरा कुमार को जिताएं।  विपक्ष की बैठक में 17 विपक्षी दलों के नेताओं ने भाग लिया। एनसीपी के शरद पवार ने मीरा कुमार के नाम का प्रस्ताव रखा। विपक्ष का कहना है कि वे सेकुलर दलों से मीरा कुमार को समर्थन देने की अपील करेगा। मीरा कुमार 27 जून को नामांकन भरेंगी।

मायावती ने बदला अपना समर्थन

आपको बता दें कि भाजपा की ओर से रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाएं जाने के बाद कई विपक्षी पार्टियों ने उनका समर्थन किया। जिसके बाद अटकलें लगाई जा रही थी कि भाजपा के औचक राष्ट्रपति उम्मीदवार ने विपक्ष की एकजुटता में दरार पैदा कर दी है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा था क्योंकि शिवसेना, जेडीजू समेत मायावती जैसे नेताओं ने भी भाजपा के उम्मीदवार का समर्थन कर दिया था। जिसके बाद आज सुबह विपक्ष में राष्ट्रपति पद को लेकर चर्चा जोरों पर थी। हालांकि मायावती ने अब अपना समर्थन मीरा कुमार को दे दिया है। वहीं लालू यादव ने नितीश के फैसले को गलत बताते हुए कहा कि राष्ट्रपति उम्मीवार के पद को लेकर मैं नितीश से बात करूंगा।

आपको बता दें कि थोड़ी देर पहले लेफ्ट और एनसीपी की बैठक भी खत्म हुई थी जिसके बाद सीताराम येचुरी ने कहा था कि गोपाल कृष्ण गांधी उनकी पहली पसंद है, जिसपर वो विपक्ष की एकजुट बैठक में चर्चा करेंगे। इसके अलावा सीताराम येचुरी ने प्रकाश अंबेडर के नाम पर भी चर्चा करने की बात कही थी। इन सभी चर्चाओं के बाद विपक्ष ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार राष्ट्रपति उम्मीदवार बना दिया है।

रामनाथ कोविंद और मीरा कुमार होंगे आमने-सामने

मीरा कुमार और रामनाथ कोविंद दोनों ही राष्ट्रपति उम्मीदवारों में काफी समानताएं हैं। शिक्षा और योग्याताओं के हिसाब से देखा जाए तो दोनों ही काबिल व्यक्ति हैं। एक ओर भाजपा के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद कानपुर देहात के एक छोटे से गांव के एक साधारण परिवार से आते हैं, तो वहीं मीरा कुमार पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम की पुत्री हैं और उन्होंने दिल्ली विश्वविधालय के प्रतिष्ठित कॉलेज मिरांडा हाउस से पढ़ाई की। वे 1970 में भारतीय विदेश सेवा के लिए चुनी गई थीं और कई देशों में राजनयिक के रूप में सेवा दे चुकी हैं। वहीं रामनाथ कोविंद का चयन भी प्रशासनिक सेवा के लिए हो चुका था, लेकिन उन्होंने नौकरी करने की जगह वकालत करना पसंद किया। मीरा कुमार और रामनाथ कोविंद दोनों ने ही वकालत की पढ़ाई की है।  कानपुर के एक कॉलेज से पढ़ाई की और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ने के बाद राजनीति में प्रवेश किया। 12 साल तक लगातार दो बार राज्यसभा सदस्य रह चुके रामनाथ कोविंद का प्रशासनिक अनुभव बिहार के राज्यपाल के रूप में है काफी बेहतर है। वहीं लोकसभा अध्यक्ष के रूप में मीरा कुमार की सफल पारी को देश की जनता देख चुकी है। रामनाथ कोविंद दलित परिवार से आते हैं तो मीरा कुमार अगली पीढ़ी की दलित हैं। इन दोनों की उम्र में भी काफी समानता है, मीरा कुमार 72 साल की हैं, जबकि रामनाथ कोविंद 71 साल के हैं।

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