मोदी सरकार की आधार को लेकर मुहिम दिन-प्रतिदन तेज होती जा रही है। एक तरफ जहां उसे जनता के साथ-साथ कोर्ट का भी साथ मिल रहा है। वहीं दूसरी तरफ वो आधार के विस्तार में भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती। केंद्र सरकार अब बैंक खातों को आधार के साथ लिंक करने की प्रक्रिया तेज करना चाहती है ताकि गरीब तबके को फायदा पहुंचाने का ढांचा तैयार किया जा सके। बता दें कि इससे पहले यह भी खबर आई थी कि अब नवंबर से आधार कार्ड बैंकों में बनाए जाएंगे। इसके अलावा पहले बन चुके कार्ड में नाम और अन्य त्रुटियां भी बैंकों में सुधारी जाएंगी। यह सुविधा हर बैंक की दस शाखाओं में से एक में होगी। वहां मशीन लगाई जाएगी और कर्मचारी नियुक्त किए जाएंगे।

बैंक खातों को आधार लिंक करने में हो रही देरी के चलते केंद्र सरकार चिंतित है। ममता बनर्जी द्वारा कोर्ट में आधार का विरोध करना भी केंद्र सरकार के लिए मुश्किलें खड़ा कर रहा है। केंद्र को भी लग रहा है कि कहीं आधार को लेकर किसी भी तरह की लेटलतीफी या लापरवाही विपक्षियों को किसी भी तरह के आरोप का मौका न दे दे। इसलिए मोदी सरकार आधार को लेकर सचेत है। बता दें कि अब तक 75 करोड़ बैंक खाते आधार से लिंक हो चुके हैं। इनके अलावा 48 करोड़ खातों को आधार कार्ड और बैंक खाते में दर्ज जानकारी का मिलान पर प्रमाणित किया जा चुका है। इसमें खाताधारक का नाम, जन्म की तारीख, लिंग और पते को आधार नंबर और बायोमीट्रिक डेटा के साथ मैच किया जाता है। लेकिन अब सरकार बचे हुए बैंक खातों को आधार के साथ लिंक करने की प्रक्रिया तेज करना चाहती है।

केंद्र सरकार ने ऐसे खातों की संख्या 100 करोड़ तक पहुंचाने का भी लक्ष्य रखा है। इन खातों का इस्तेमाल सरकार व्यापक सामाजिक सुरक्षा या यूनिवर्सल बेसिक स्कीम (यूबीआई) पेमेंट के लिए कर सकती है। इस मामले में सरकार की पहल से वाकिफ एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘अगर यूनिवर्सल बेसिक स्कीम को लागू करने का फैसला होता है तो ये बैंक खाते उसकी रीढ़ बन सकते हैं।’ इकनॉमिक सर्वे 2016-17 में गरीबी खत्म करने के लिए यूनिवर्सल बेसिक स्कीम का जिक्र किया गया था। एक हालिया स्टडी में इंटरनैशनल मॉनिटरी फंड (आईएमएफ) ने अनुमान लगाया था कि अगर भारत फूड और एनर्जी सब्सिडी खत्म करता है तो वह हर नागरिक को साल में 2,600 रुपये की यूनिवर्सल बेसिक स्कीम दे सकता है।

आधार मामले में केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाओं पर अपना स्टैंड रख रही है। इस बाबत सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को चार हफ्तों का समय देते हुए जवाब मांगा है कि वह बताए कि मोबाइल फोन को आधार नंबर से लिंक कराना क्यों जरूरी है?

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