वैसे तो विद्या की मंदिर में अराजकता का नामोनिशान भी नहीं होना चाहिए लेकिन जब अराजक तत्व ही मंदिर में प्रवेश कर जाएं तो फिर अराजकता का फैलना जायज है। एक बार फिर देश का नामी विश्वविद्यालय जेएनयू मारपीट और हिंसा को लेकर खबरों में आया है। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय(जेएनयू) में इस बार एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म को लेकर बवाल हुआ। लव जेहाद पर बनी फिल्म के प्रदर्शन के दौरान शुक्रवार(27 अप्रैल) को परिसर में छात्र संगठन आपस में भिड़ गए। इस दौरान तोड़फोड़ और मारपीट की घटना हुई। जिसमें कुछ कार्यकर्ताओं के घायल होने की खबर है। खबरों के मुताबिक, आरएसएस से जुड़े छात्र संगठन एबीवीपी और लेफ्ट विंग के संगठनों के कार्यकर्ता इस मारपीट में शामिल थे। लेफ्ट विंग का संगठन फिल्म की स्क्रीनिंग रुकवाना चाहता था।

कैंपस में विवेकानंद विचार मंच और ग्लोबल इंडिया फाउंडेशन की ओर से ‘In the name of love- melancholy of God’s own country’ के नाम से एक फिल्म की स्क्रीनिंग चल रही थी। इसी दौरान दोनों तरफ के छात्र आपस में भिड़ गए। लेफ्ट विंग के छात्रों ने यह कहते हुए कैंपस में डॉक्युमेंट्री की स्क्रीनिंग का विरोध किया कि इससे सांप्रदायिक घृणा और उपद्रव फैलने की आशंका है। वहीं दूसरी तरफ आयोजकों का कहना है कि जेएनयू में हो रहे धर्मांतरण को रोकने के मकसद से कैंपस के भीतर यह फिल्म दिखाई जा रही थी। लेकिन स्क्रिनिंग शुरू होने से पहले ही JNU की लेफ्ट विंग ने फ़िल्म के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया. बैनर पोस्टरों के जरिये बीजेपी और RSS के खिलाफ नारेबाजी की गई। एबीवीपी के सौरभ शर्मा ने कहा कि वामपंथी छात्रों ने फिल्म स्क्रीनिंग के दौरान तोड़फोड़ और कार्यकर्ताओं से मारपीट की।

जेएनयू कैंपस के गेट पर पुलिस की तैनाती की गई है, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस को कैंपस के भीतर घुसने की इजाजत नहीं दी। लेफ्ट विंग और ABVP के छात्रों ने बसंत कुंज पुलिस स्टेशन जाकर इस मामले में एक-दूसरे गुट के छात्रों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। खबरों के मुताबिक, फिल्म में केरल की युवती हादिया का भी नाम लिया गया है। लेफ्ट विंग के छात्रों का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में हादिया की शादी को लव जिहाद का मामला मानने से इनकार किया है। ऐसे में उसका नाम लेना सही नहीं है।

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