भारत में Online Gaming को कानून के दायरे में लाने की तैयारी तेज, जानिए इससे क्या बदलेगा और देश में कितना बड़ा है ऑनलाइन गेमिंग उद्योग

इसके अलावा एक सुझाव ये भी दिया गया है कि MeitY द्वारा विनियमन के दायरे में केवल Online Gaming, यानी ‘गेम्स ऑफ स्किल’ शामिल होने चाहिये, वहीं ऑनलाइन सट्टेबाज़ी और जुए जैसे खेलों को इसके दायरे से बाहर रखा जाना चाहिये.

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भारत में Online Gaming को कानून के दायरे में लाने की तैयारी तेज, जानिए इससे क्या बदलेगा और देश में कितना बड़ा है ऑनलाइन गेमिंग उद्योग - APN News
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भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा मई 2022 में गठित की गई टास्क फोर्स ने भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग (Online Gaming Industry) को कानूनी ढ़ांचे में लाने के लिये अपनी सिफारिशों की एक अंतिम रिपोर्ट तैयार की है.

टास्क फोर्स की सिफारिशें

टास्क फोर्स ने देश में ऑनलाइन गेमिंग के लिये केंद्रीय स्तर के कानून को वास्तविक धन और फ्री गेम पर लागू करने की सिफारिश की है, जिसमें ई-स्पोर्ट्स, ऑनलाइन फैंटेसी स्पोर्ट्स कॉन्टेस्ट तथा कार्ड गेम शामिल हैं.

टास्क फोर्स के अनुसार ऐसे गेम जिनमें पैसे का लेनदेन नहीं है को ऐसे नियमों के दायरे से बाहर रखा जा सकता है, जब तक कि भारत में उनके उपयोगकर्त्ताओं (Subscribers) की संख्या ज्यादा न हो.

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ऑनलाइन गेमिंग के लिए कानून बनाने की सिफारिश

टास्क फोर्स ने देश में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के लिये एक नियामक निकाय बनाने की भी सिफारिश की है. जो (निकाय) यह निर्धारित करेगा कि कौशल या अवसर (Skill or Opportunity) के खेल के रूप में क्या योग्यता है, और इसके बाद विभिन्न गेमिंग के प्रारूपों (Categories) को प्रमाणित करने का साथ-साथ अनुपालन और प्रवर्तन (Compliance and Enforcement) भी सुनिश्चित करता है.

गेम ऑफ स्किल एवं गेम ऑफ चांस

“गेम ऑफ स्किल” मुख्य रूप से एक अवसर के बजाय किसी खिलाड़ी की विशेषज्ञता के मानसिक या शारीरिक स्तर पर आधारित होता है. वहीं “गेम ऑफ चांस” मुख्य रूप से किसी भी प्रकार के यादृच्छिक कारक (Random Factor) द्वारा निर्धारित किया जाता है. गेम ऑफ चांस में कौशल का उपयोग मौजूद होता है लेकिन उच्च स्तर का मौका सफलता को निर्धारित करता है.

त्रि-स्तरीय विवाद समाधान तंत्र

भारत में ऑनलाइन स्ट्रीमिंग सेवाओं के लिये सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के तहत निर्धारित एक त्रि-स्तरीय विवाद समाधान तंत्र, जिसमें शामिल हैं- गेमिंग प्लेटफॉर्म स्तर पर एक शिकायत निवारण प्रणाली, संबधित उद्योग का अपना शिकायत निवारण तंत्र के अतिरिक्त सरकार के नेतृत्व में एक निरीक्षण समिति शामिल है.

भारतीय यूजर्स को रियल मनी ऑनलाइन गेम (जिनमें पैसे का लेनदेन होता है) की पेशकश करने वाले किसी भी ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म चाहे वो घरेलू या विदेशी को भारतीय कानून के तहत शामिल एक कानूनी इकाई की आवश्यकता होगी. धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA 2002) के तहत इन प्लेटफॉर्मों को ‘रिपोर्टिंग संस्थाओं’ के रूप में भी माना जाएगा. इसके साथ-साथ इन प्लेटफॉर्मों को वित्तीय खुफिया इकाई-भारत (Financial Intelligence Unit ‑ India) को किसी भी संदिग्ध लेन-देन की रिपोर्ट पेश करने की भी जरूरत पड़ेगी.

कौन रखेगा नजर?

टास्क फोर्स के अनुसार भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा ई-स्पोर्ट्स श्रेणी को छोड़कर ऑनलाइन गेमिंग को कानूनी तौर पर लाने के लिए नोडल मंत्रालय के रूप में कार्य कर सकता है, वहीं इसकी निगरानी खेल विभाग भी कर सकता है.

इसके अलावा एक सुझाव ये भी दिया गया है कि MeitY द्वारा विनियमन के दायरे में केवल ऑनलाइन गेमिंग, यानी ‘गेम्स ऑफ स्किल’ शामिल होने चाहिये, वहीं ऑनलाइन सट्टेबाज़ी और जुए जैसे खेलों को इसके दायरे से बाहर रखा जाना चाहिये.

अलग-अलग मंत्रालयो के लिए सुझाव

टास्क फोर्स के अनुसार ऑनलाइन गेमिंग के कुछ पहलुओं जैसे विज्ञापन, सामग्री वर्गीकरण (Content Segregation) से संबंधित आचार संहिता (Code of Conduct) आदि को सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा विनियमित किया जा सकता है. वहीं उपभोक्ता मामले के मंत्रालय के द्वारा अनुचित व्यापार के तरीकों को रोकने के लिये इस क्षेत्र को विनियमित कर सकता है.

क्यो जरूरी है केंद्रीय स्तर का कानून?

भारत में संविधान के अनुसार ऑनलाइन गेमिंग राज्य सरकार (State Government) का विषय रहा है, लेकिन राज्य सरकारों के अनुसार, उन्हें अपने राज्य के भीतर कुछ एप्स या वेबसाइटों को रोकने या फिर बैन करने के लिए नियम को लागू करना बेहद मुश्किल होता है. वहीं एक राज्य द्वारा पारित किए गए नियम दूसरे में लागू नहीं होते हैं, जिससे देश में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग को विनियमित करने के तरीके में असंगतता पैदा हो जाती है.

इसके अलावा राज्य सरकारों के पास बाहरी सट्टेबाजी वेबसाइटों के लिये रोकने के लिए ऑर्डर जारी करने हेतु केंद्र के समान इन्हें अवरुद्ध करने की शक्तियां भी नहीं हैं.

भारत में ऑनलाइन गेम के तेजी से हो रहे फैलाव से उत्पन्न होने वाली कई सामाजिक चिंताओं पर भी प्रकाश डाला गया है. अकसर हमें देश के विभिन्न हिस्सों में ऑनलाइन गेम पर लोगों द्वारा बड़ी रकम गंवाने की कई घटनाएं और इनकी वजह से होने वाली आत्महत्या की घटनाएं सामने आई हैं.

भारत में अभी ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को नियंत्रित करने के लिये कोई प्रभावी नियामक ढांचा नहीं है जैसे कि शिकायत निवारण तंत्र, खिलाड़ी संरक्षण उपायों को लागू करना, डेटा और बौद्धिक संपदा अधिकारों (Intellectual Property Rights) की सुरक्षा एवं भ्रामक विज्ञापनों पर प्रतिबंध आदि शामिल है.

कितना बड़ा है भारत का गेमिंग बाजार

भारतीय मोबाइल गेमिंग उद्योग का राजस्व वर्ष 2022 में 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर (12,500 करोड़ रुपये) से अधिक होने की उम्मीद है और वर्ष 2025 में इसके 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर (45,000 करोड़ रुपये) तक पहुंचने का अनुमान जताया जा रहा है. देश में यह उद्योग वर्ष 2017-2020 के बीच 38 फीसदी की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (Compound annual growth rate- CAGR)से बढ़ा, जबकि चीन में 8 फीसदी और अमेरिका में मात्र 10 फीसदी था. भारत मे 15 फीसदी की CAGR वृद्धि के साथ वर्ष 2024 तक इसका राजस्व बढ़कर 153 बिलियन रुपए होने की संभावना है.

यूजर्स में लगातार हो रही है बढ़ोतरी

भारत में भुगतान करने वाले नए गेमिंग यूजर्स (NPUs) लगातार दो वर्षों से दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ रहे है जो वर्ष 2020 में 40 फीसदी और वर्ष 2021 में 50 फीसदी तक पहुंच गये है.

Ernest & Young – FICCI (फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लेनदेन-आधारित गेम का राजस्व 26 फीसदी बढ़ा है और भुगतान करने वाले गेमर्स की संख्या 17 फीसदी बढ़कर वर्ष 2020 के 8 करोड़ के मुकाबले वर्ष 2021 में 9.5 करोड़ हो गई है.

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