देश में लगातार बढ़ रहा गरीब और अमीर के बीच का फासला, जानें क्या बताती है Oxfam की रिपोर्ट?

समाजसेवी संगठन ऑक्सफैम इंटरनेशनल (Oxfam) ने कहा कि भारत के 10 सबसे अमीरों पर 5 फीसदी टैक्स लगाने से देश के सभी बच्चों को स्कूल भेजने के लिए पूरा पैसा मिल सकता है।

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Ambedkar Nagar in Mumbai - OXFAM India

स्विटजरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Forum – WEF) के सालाना होने वाले जमावड़े के पहले दिन अपनी एनुअल इनइक्वालिटी रिपोर्ट (Annual Inequality Report) का इंडिया सप्लिमेंट ‘सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट: द इंडिया स्टोरी’ जारी करते हुए समाजसेवी संगठन ऑक्सफैम इंटरनेशनल (Oxfam) ने कहा कि भारत के 10 सबसे अमीरों पर 5 फीसदी टैक्स लगाने से देश के सभी बच्चों को स्कूल भेजने के लिए पूरा पैसा मिल सकता है।

इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के एक फीसदी लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का 40 फीसदी हिस्सा है। जबकि देश की निचली 50 फीसदी आबादी के पास केवल 3 फीसदी संपत्ति है। रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार मार्च 2020 से लेकर नवंबर 2022 तक अरबपतियों की दौलत में 121 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। सोमवार को जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक भारत के सबसे अमीर लोगों की दौलत 54 लाख 12 हजार करोड़ रुपए है। भारत के अरबपतियों की संपत्ति कोरोना महामारी के दौरान हर दिन 3,608 करोड़ रुपए बढ़ी है।

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कमाई बढ़ लेकिन टैक्स में योगदान नहीं बढ़ा

ऑक्सफैम की रिपोर्ट के अनुसार अरबपतियों की संपत्ति में तो वृद्धि हुआ है लेकिन टैक्स में उनका योगदान आजद भी काफी कम है। रिपोर्ट में इसको लेकर तुलना करते हुए बताया है कि 2021-22 के दौरान जीएसटी के जरिए सरकार ने लगभग 15 लाख करोड़ रुपए जुटाए, लेकिन इसमें देश के 10 फीसदी अमीर लोगों का योगदान महज 3 फीसदी ही रहा। वहीं, 14.83 लाख करोड़ के टैक्स क्लेक्शन में 64 फीसदी योगदान उन लोगों का रहा, जो देश के सबसे निचले 50 फीसदी तबके में आते हैं।

भारत के बिलियनेयर्स की टोटल वेल्थ पर 2 फीसदी टैक्स की सलाह

रिपोर्ट में ऑक्सफैम द्वारा कहा गया है कि, ‘अगर भारत के बिलियनेयर्स पर उनकी टोटल वेल्थ पर 2 फीसदी की दर से एक बार (Single Time) टैक्स लगाया जाए, तो इससे देश में अगले तीन साल तक कुपोषित लोगों के पोषण के लिए जरूरी 40,423 करोड़ रुपए की जरूरत को पूरा किया जा सकता है। इसके साथ ही रिपोर्ट को जारी करते हुए संगठन ने आर्थिक गैर-बराबरी को कम करने के लिए बजट में उपाय किए जाने की मांग की है।

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पुरुषों को मिलते हैं महिलाओं की तुलना में ज्यादा रुपए

महिलाओं और पुरुषों में बराबरी को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि एक महिला कर्मचारी को एक पुरुष कर्मचारी की तुलना में कमाए गए हर 1 रुपए के मुकाबले केवल 63 पैसे मिलते हैं। अनुसूचित जाति के कामगारों और ग्रामीण हिस्सों में ये अंतर और भी ज्यादा है। अनुसूचित जातियों ने सामाजिक समूहों की कमाई का 55 फीसदी कमाया, और बाद में 2018 – 2019 के बीच शहरी कमाई का केवल आधा हिस्सा ही उनके पास गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत के टॉप-100 अरबपतियों पर केवल 2.5 फीसदी टैक्स और टॉप-10 पर 5 फीसदी टैक्स लगाने से देश के सभी बच्चों को स्कूल भेजने के लिए पूरा पैसा मिल सकता है।

2022 में अरबपतियों की संख्या बढ़कर​​​​​​​ 166 ​​​​​​​हुई

ऑक्सफैम ने कहा कि भारत में अरबपतियों की कुल संख्या 2020 के 102 से बढ़कर 2022 में 166 हो गई है। वहीं, अगर संपत्ति के हिसाब से देखें तो भारत के 100 सबसे अमीर लोगों की कुल संपत्ति 660 अरब डॉलर (54.12 लाख करोड़ रुपए) तक पहुंच गई है।

ऑक्सफैम भारत के प्रमुख अमिताभ बेहर ने कहा कि भारत में ‘गरीब ज्यादा टैक्स का भुगतान कर रहे हैं। इसके साथ ही वो अमीरों की तुलना में आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर भी अधिक खर्च कर रहे हैं। बेहर ने कहा कि अब समय आ गया है कि देश के अमीरों पर टैक्स लगाया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि वे अपने हिस्से का उचित भुगतान करें।’

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वेल्थ टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स लागू करने की भी सलाह

ऑक्सफैम भारत के प्रमुख बेहर ने केंद्रीय वित्त मंत्री से वेल्थ टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स जैसे प्रगतिशील टैक्स को भी लागू करने की भी सला दी है। बेहर ने कहा है कि ऐसे कदम असमानता (Inequality) से निपटने में ऐतिहासिक रूप से प्रभावी साबित हुए हैं।

2021 में फाइट इनइक्वालिटी एलायंस इंडिया (FIA India) द्वारा किए गए एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण का हवाला देते हुए, ऑक्सफैम ने कहा- यह पाया गया है कि भारत में 80 फीसदी से अधिक लोग अमीरों और निगमों पर जिन्होंने कोविड -19 महामारी के दौरान रिकॉर्ड मुनाफा कमाया है पर टैक्स लगाने का समर्थन करते हैं, ।

कैसे तैयार की गई है रिपोर्ट?

ऑक्सफैम के द्वारा कहा गया है कि देश में धन असमानता और अरबपतियों की संपत्ति को जांचने के लिए फोर्ब्स (Forbes) और क्रेडिट सुइस (Credit Suisse) जैसे माध्यमिक स्रोतों का उपयोग किया गया है। इसके अलावा NSS, केंद्रीय बजट के दस्तावेज, संसदीय प्रश्नों के द्वारा मिली जानकारी आदि जैसे सरकारी स्रोतों का उपयोग रिपोर्ट के माध्यम से किए गए तर्कों की पुष्टि करने के लिए किया गया है।

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