हिमाचल में भी पुरानी पेंशन योजना बहाल, जानिए आखिर क्यों Old Pension Scheme की ओर लौट रहे हैं राज्य

सीएम सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) की अगुआई में हुई पहली कैबिनेट बैठक में चुनाव के दौरान किए गए अपने अहम वादे को पूरा करते हुए Old Pension Scheme को फिर से लागू करने के प्रस्ताव पर शुक्रवार को मुहर लगा दी।

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Old Pension Scheme in Himachal

देश के पहाड़ी राज्य हिमाचल में सत्ता हासिल करने के लगभग एक महीने के बाद कांग्रेस की सुखविंद्र सिंह सुक्खू सरकार ने आज पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme – OPS) को मंजूरी दे दी है। पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने वाला हिमाचल प्रदेश, देश का पांचवा राज्य हो गया है। इससे पहले, छत्तीसगढ़, राजस्थान, झारखंड़ और पंजाब भी पुरानी पेंशन स्कीम को लागू कर चूके हैं।

सीएम सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) की अगुआई में हुई पहली कैबिनेट बैठक में चुनाव के दौरान किए गए अपने अहम वादे को पूरा करते हुए ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से लागू करने के प्रस्ताव पर शुक्रवार को मुहर लगा दी। कांग्रेस ने नवंबर 2022 में हुए हिमाचल विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान पुरानी पेंशन देने का वादा किया था।

1.36 लाख सरकारी कर्मचारी होंगे Old Pension Scheme लाभान्वित

राज्य में Old Pension Scheme के लागू होने से राज्य के 1.36 लाख कर्मचारियों को फायदा होगा। इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश में महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपए की पेंशन और एक लाख नौकरी देने को लेकर भी कैबिनेट ने मंजूरी दी है जिसके लिए एक कैबिनेट सब कमेटी बनाने के आदेश दिए गए हैं जो एक महीने में रोडमैप बनाकर कैबिनेट को सौंपेगी।

इससे पहले गुरुवार 12 जनवरी 2023 को राज्य सचिवालय में कर्मचारियों को दिए भाषण हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा था कि, ‘‘हम केवल वोटों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल नहीं कर रहे हैं, बल्कि हिमाचल के विकास में इतिहास रचने वाले कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा और उनके आत्मसम्मान के संरक्षण के लिए ऐसा कर रहे हैं।”

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नई पेंशन योजना

केंद्र की तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 2004 में नई पेंशन योजना (New Pension system) लागू किया था। योजना के तहत सरकारी कर्मचारियों के अलग से खाते खुलवान के साथ लगातार हो रहे करोड़ो रुपए के निवेश को देखने के लिए फंड मैनेजरों की भी नियुक्ति की गई थी।

नई पेंशन योजना में अगर पेंशन फंड के निवेश का रिटर्न अच्‍छा रहा तो भविष्य निधि (Provident Fund) और पेंशन की पुरानी स्कीम की तुलना में नए कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय भविष्य में अच्छी धनराशि भी मिल सकती है। लेकिन इसको लेकर कर्मचारियों के बीच संशय है ओर उनका कहना है कि पेंशन फंड के निवेश का रिटर्न बेहतर ही होगा, यह कैसे संभव है। इसलिए वे पुरानी पेंशन योजना (Old Pension scheme) को लागू करने की मांग कर रहे हैं।

क्या है पुरानी और नई पेंशन योजना में अंतर

पुरानी पेंशन योजना     

पुरानी पेंशन एक सुरक्षित योजना है। इसका भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है।

पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के बाद दी जाने वाली पेंशन को लेकर वेतन से कोई कटौती नहीं की जाती है।

पुरानी पेंशन योजना में GPF की सुविधा है।

पुरानी पेंशन में रिटायरमेंट के समय अंतिम बेसिक सैलरी का 50 फीसदी पेंशन मिलती है।

सरकार, पुरानी पेंशन योजना में प्रत्येक 6 महीने के बाद बढ़ाया जाने वाला महंगाई भत्ता (DA) भी देती है।

पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट के बाद 20 लाख रुपए तक की ग्रेच्युटी का भी प्रावधान है।

पुरानी पेंशन योजना में सर्विस के दौरान मौत होने पर परिवार को पेंशन का प्रावधान है।

पुरानी पेंशन योजना के तहत रिटायरमेंट पर मिलने वाले GPF के ब्याज पर किसी प्रकार का आयकर नहीं देना पड़ता है।

पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट के समय पेंशन पाने के लिए GPF से कहीं भी कोई निवेश नहीं करना पड़ता है।

OPS में 40 फीसदी पेंशन कम्यूटेशन का प्रावधान है। NPS में इस तरह का कोई भी प्रावधान नहीं है।

मेडिकल की सुविधा है, वहीं NPS में इसको लेकर कोई भी स्पष्ट प्रावधान नहीं है।

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नई पेंशन योजना

नई पेंशन योजना पूरी तरह शेयर बाजार पर आधारित है, जिसके तहत बाजार की चाल के आधार पर भुगतान किया जाता है।

NPS में कर्मचारी के वेतन से 10 फीसदी (बेसिक + महंगाई भत्ता) की कटौती होती है।

नई पेंशन योजना को जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) की सुविधा के साथ नहीं जोड़ा गया है। 

नई पेंशन योजना में रिटायरमेंट के समय कोई फिक्स पेंशन की गारंटी नहीं है।

नई पेंशन योजना में केंद्र सरकार हर 6 महीने में बदलाव के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता लागू नहीं होता है।

नई पेंशन योजना में रिटायरमेंट के समय ग्रेच्युटी को लेकर अस्थाई प्रावधान है। 

नई पेंशन योजना में अगर नौकरी के दौरान किसी भी कर्मी की मौत हो जाती है तो परिवार को पेंशन मिलती है, लेकिन योजना में जमा पैसे सरकार रख लेती है।

नई पेंशन योजना में रिटायरमेंट पर शेयर बाजार के आधार पर जो पैसा मिलेगा, उस पर सरकार को टैक्स देना पड़ता है। 

NPS में रिटायरमेंट पर पेंशन प्राप्ति के लिए NPS फंड से 40 फीसदी पैसे को निवेश करना होता है।

पुरानी पेंशन चाहिए लेकिन क्यों?

देश में पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme -OPS) को दिसंबर 2003 में केंद्र की तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने समाप्त कर दिया था। पुरानी पेंशन योजना के स्थान पर नई राष्ट्रीय पेंशन योजना (National Pension Scheme-NPS) लागू की गई। एनपीएस 1 अप्रैल, 2004 से प्रभावी है।

केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा अपने कर्मचारियों को दी जाने वाली पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के समय मिलने वाले आखिरी वेतन का 50 फीसदी पेंशन होती थी। इस पूरी राशि का भुगतान सरकारें करती थी। वहीं, नई पेंशन योजना उन कर्मचारियों के लिए है, जो 1 अप्रैल 2004 के बाद से सरकारी नौकरी में आए हैं।

इसके तहत हरेक कर्मचारी अपनी सैलरी का हर महीने 10 फीसदी हिस्सा पेंशन के लिए योगदान करते हैं। इसके अलावा राज्य सरकार 14 फीसदी योगदान देती है। पेंशन फंड के लिए काटा गया पूरा पैसा पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (Pension Fund Regulatory and Development Authority- PFRDA) के पास जमा होता है, जो इसे बाजार ओर अन्य जगहों पर निवेश करता है।

नई पेंशन स्कीम में फायदे कम

विशेषज्ञों के अनुसार नई पेंशन योजना में पुरानी स्कीम के मुकाबले कर्मचारियों को बहुत कम फायदे मिलते हैं जिसके चलते उनका भविष्य सुरक्षित नहीं है। इसके अलावा सेवानिवृत्त होने के बाद जो पैसा मिलता है, उस पर टैक्स देना पड़ेगा।

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