कुछ महीने पहले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक भाषण में विंड टर्बाइन की मदद से नमी वाली हवा से पानी अलग करने की बात कही थी। पीएम मोदी के इस बयान पर राहुल गांधी समेत अन्‍य विपक्षी नेताओं ने उनका मजाक बनाया था।

पीएम मोदी के इस बयान को IIT, गुवाहाटी ने सत्य कर दिखाया है। और जल वाष्‍प से बगैर किसी कूलेंट का प्रयोग किए पानी इकट्ठा करनी की तकनीक विकसित कर ली।

इस मौके पर प्रोफेसर मन्ना ने कहा, “यह जल-संचयन तकनीक हाइड्रोफोबिसिटी या वाटर-रिपेलिंग तकनीक पर आधारित है। हाइड्रोफोबिसिटी की अवधारणा को कमल के पत्ते को देखकर समझा जा सकता है।” उन्होंने कहा कि आईआईटी-गुवाहाटी की शोध टीम ने पहली बार नम हवा से पानी को प्रभावी ढंग से निकालने के लिए रासायनिक रूप से तैयार SLIPS की अवधारणा का उपयोग किया है।

दुनिया भर में पानी की कमी बढ़ने के साथ, गैर-पारंपरिक साधनों के माध्यम से पानी को इकट्ठा करने और संरक्षित करने का प्रयास किया गया है और IIT-गुवाहाटी के वैज्ञानिकों ने वाटर हार्वेस्टिंग के लिए प्राकृतिक तरीकों पर गौर करना शुरू किया है।

प्रोफेसर मन्ना ने आगे कहा, “हमने एक अत्यधिक एफिशिएंट वाटर हार्वेस्टिंग इंटरफ़ेस का निर्माण किया है। शोधकर्ताओं ने अपने पिचर-प्‍लांट से प्रेरित SLIPS मटीरियल की तुलना अन्य जैविक तरीकों से की है और उन्होंने वाटर हार्वेस्टिंग के लिए इसी तकनीक को सबसे बेहतर पाया है।”

IIT, गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने हाइड्रोफोबिसिटी की अवधारणा का उपयोग करते हुए हवा (जलवाष्‍प) से पानी निकालने के लिए एक नई तकनीक विकसित करने का दावा किया है। केमेस्‍ट्री के एसोसिएट प्रोफेसर उत्तम मन्ना के नेतृत्व वाली एक टीम में उनके रिसर्च स्‍टूडेंट्स कौसिक माजी, अविजित दास और मंदीपा धर ने रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री, के जर्नल में अपनी रिसर्च प्रकाशित की है। 

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