Vaccination के बाद COVID-19 के खिलाफ Immunity कितने समय तक रहती है? जानें

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COVID-19
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दुनिया के सभी देश टीकाकरण (Vaccination) के लिए संघर्ष कर रहे हैं, ऐसे में सवाल उठता है कि क्या टीकाकरण के बाद कोरोना का खतरा हमेशा के लिए टल जाएगा ? दुनिया के कुछ हिस्सों में स्वास्थ्य एजेंसियों ने अपने रिपोर्ट में कमजोर प्रतिरक्षा के खिलाफ बूस्टर खुराक (Booster Dose) देने पर विचार किया है, खासकर बुजुर्गों में टीके की दो खुराक के बाद भी बूस्टर डोज लेने की सिफारिश की है।

वहीं कर्नाटक में टीके की दो डोज लगने के बाद भी लोगों में कोरोना के रिपोर्ट पॉजिटिव आए हैं। मैसूर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (MSC and RI) में सामुदायिक चिकित्सा के प्रमुख डॉ. मुदस्सिर अज़ीज़ खान ने हाल ही में COVID-19 पर नवगठित मैसूरु जिला तकनीकी विशेषज्ञ समिति की बैठक में बूस्टर डोज की आवश्यकता बताई।

डॉ खान ने कहा कि SARS-COV-2, COVID-19 का कारण बनने वाले वायरस स्ट्रेन में कुल 28 अलग-अलग प्रोटीन होते हैं। टीकाकरण से उत्पन्न एंटीबॉडी केवल स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ कार्य करेंगे। शेष 27 प्रोटीन टीकाकरण से उत्पन्न एंटीबॉडी के संपर्क में नहीं आते हैं, लेकिन, COVID-19 के प्राकृतिक संक्रमण के मामले में सभी 28 प्रोटीन उजागर हो जाएंगे और ऐसे में एंटीबॉडी हर तरफ से वायरस से लड़ेंगे।

बूस्टर खुराक उनके लिए जो इम्युनो-कॉम्प्रोमाइज्ड हैं

डॉ. के.एस. (प्रख्यात पल्मोनोलॉजिस्ट और राज्य COVID-19 विशेषज्ञ समिति के सदस्य) ने कहा कि अध्ययनों ने संकेत दिया है कि प्राकृतिक संक्रमण से उत्पन्न एंटीबॉडी, टीकाकरण के साथ संयुक्त और अधिक स्थायी प्रतिरक्षा प्रदान करेंगे। बूस्टर खुराक केवल उन लोगों के लिए है, जो इम्युनो-कॉम्प्रोमाइज्ड हैं या जिन्हें जिन के शरीरर में एंटीबॉडी प्रतिक्रिया नहीं हो पाती। जैसे कैंसर रोगी, जिनकी कीमोथेरेपी हुई है और जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है।

टीकाकरण से मिली प्रतिरक्षा नौ महीने चल सकती है

हालांकि टीकाकरण के माध्यम से मिली प्रतिरक्षा नौ महीने तक चल सकती है, डॉ सतीश ने कहा कि यह देखने के लिए बहुत सारे अध्ययन किए जा रहे हैं कि क्या हर किसी को साल में एक बार बूस्टर खुराक की आवश्यकता होती है। हमें इस साल के अंत तक पता चल जाएगा, जब दो डोज टीके की ले चुके लोगों पर अध्ययन किया जाएगा।

म्यूटेटशन से रोकने के लिए टीकाकरण जरूरी

डॉ. खान ने बताया कि टीका लेने के बाद ज्यादातर मामलों में संक्रमण जीवन के लिए खतरा नहीं होते हैं, और अधिकांश मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की भी आवश्यकता नहीं होती है। डॉ. खान ने टीकाकरण के व्यापक और तेज कवरेज की सिफारिश की है, क्योंकि वायरस लोगों में फैलने के साथ ही म्यूटेट होता है। उन्होंने डेल्टा संस्करण के उद्भव के लिए भारत में टीकाकरण में देरी को जिम्मेदार ठहराया।

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