उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन के नाम पर करोड़ों का घोटाला हुआ है। इस घोटाले के सामने आने के बाद विभागीय मंत्री अरविन्द पांडेय ने आनन-फानन में दोषी अधिकारियो को नहीं बख्शने का ऐलान किया था। मंत्री ने कहा था कि, अगर उनके हस्ताक्षर से भी कोई फाइल इधर से उधर हुई है तो वो भी इस मामले में जांच के लिए तैयार हैं। घोटाला चूंकि करोड़ों रूपये का होने का अंदेशा है लिहाजा इस मामले की एसआईटी जांच के लिए मंत्री अरविन्द पांडेय ने सरकार से सिफारिश की। लेकिन शासन में बैठे गृह सचिव ने एसआईटी जांच कराने से साफ इनकार करते हुए मंत्रालय को फ़ाइल वापस कर दी है। वहीं अब मंत्री ये कह रहे हैं कि पता नहीं क्यों गृह सचिव ने ऐसा किया।

उत्तराखंड गृह विभाग के इनकार के बाद विभागीय मंत्री अरविन्द पांडेय के सुर और लय बदल गए हैं। उनकी जुबान घोटाले पर आग उगलने की बजाय मद्धिम हो चुके हैं। फिलहाल मंत्री ने विभागीय जांच का दावा कर प्रतिष्ठा बचाने की कोशिश की है। जबकि मामला इतना बड़ा है कि, विभाग किस तरह इसकी जांच करेगा ये बताने की जरुरत नहीं है।

मामला साल 2017 का है। जब राज्य की सभी 7950 ग्राम पंचायतों को आपदा किट बांटी गयी थी। जिसमे दो स्ट्रेचर, दो कंबल, दो टॉर्च, सौ मीटर लंबी एक रस्सी, दो तिरपाल, 5-5 लीटर के दो मिल्टन जग और 1-1 गैंती, बेलचा, सब्बल और तसला दिए गए थे। बताया जा रहा है की बाजार में इसकी कीमत मात्र 6 हजार रूपये है, लेकिन इसे 20 हजार 200 रुपए के रेट से ग्राम पंचायतों को बेचा गया था।

इसके बाद सरकार में हड़कंप मच गया था। लेकिन फिलहाल गृह विभाग इस मामले की एसआईटी जांच से इनकार कर रहा है। वहीं मंत्री अरविंद पांडेय का दावा बड़े घोटाले का है। ऐसे में सवाल यही कि उत्तराखंड गृह विभाग किसे और क्यों बचाना चाहता है। ऐसे में सवाल यही कि क्या विभागीय मंत्री अरविंद पांडेय की अपने विभाग में ही नहीं चलती।

                                          – एपीएन, ब्यूरो रिपोर्ट

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