त्यौहार कोई भी हो लेकिन उसका उद्देश्य मानव जाति को यही समझाने के लिए होता है कि अच्छाई हमेशा बुराई पर विजयी होती है। ऐसा ही एक त्यौहार है होली जिसमें भगवान विष्णु ने मानव जाति को अच्छाई का एक और उदाहरण पेश किया था। आज ( गुरूवार)  भारत समेत पूरी दुनिया में फिर होली का रंग सिर चढ़ कर बोल रहा है।  आज शाम होलिका दहन किया जाएगा और कल रंगों के साथ इस पर्व का जश्न मनाया जाएगा। होली और होलिका दहन से जुड़ी हिरणकश्यप के अलावा मुगल काल, शिव-पार्वती और राधा-कृष्ण की भी कहानियां प्रचलित हैं। इस बार होलिका दहन प्रदोषकाल में होगा। प्रदोषकाल में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शांम 7.40  बजे से रात 9.20 बजे तक है।

इस बार होलिका दहन के लिए ढाई घंटे का समय मिलेगा। 1 मार्च को फाल्गुन पूर्णिमा और 2 मार्च को रंग-अबीर के साथ रंगोत्सव होगा। ऐसा माना जाता है कि भद्रा काल में होलिका दहन नहीं होना चाहिए इसे अशुभ माना जाता है। ये भी कहा जाता है कि होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि में ही होना चाहिए। इस साल 1 मार्च को शाम 7 बजकर 40 मिनट से भद्रा काल समाप्त हो रहा है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, होलिका दहन उस समय सबसे शुभ माना जाता है जब पूर्णिमा तिथि हो, प्रदोष काल हो और भद्रा काल समाप्त हो गया हो।

होली में पूजा विधि का ध्यान रखना चाहिए। होलिका पूजन में डुंडिका देवी का पूजन सूर्यास्त के बाद करना चाहिए। अबीर-गुलाल मिश्रित जल से होलिका का पूजन करना चाहिए।  बता दें कि होली त्यौहार मनाने की पौराणिक कथा बड़ी ही रोचक है। राक्षस हिरण्यकश्यप को अपनी शक्तियों पर घमंड हो गया था। वह चाहता था कि उसे भगवान के रुप में पूजा जाए। उसके डर के कारण उसकी प्रजा ऐसा करने भी लगी थी लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था। हिरण्यकश्यप को इस बात से बड़ी चिंता थी। उसने अपने पुत्र को बहुत समझाया लेकिन उसकी भक्ति को मिटा नहीं पाया। तब अपने पुत्र को सबक सिखाने के लिए उसने एक घिनौनी रणनीति चाल रची। उसने अपनी बहन होलिका की सहायता ली कि वो अग्निकुंड में भक्त प्रहलाद को लेकर बैठ जाए। होलिका को ब्रह्म देव से अग्नि में ना जलने का वरदान प्राप्त था। हिरण्यकश्यप के कहने पर होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई। भगवान की कृपा से प्रहलाद बच गया लेकिन होलिका आग में भस्म हो गई। भगवान विष्णु ने प्रकट होकर हिरण्यकश्यप का वध कर दिया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here