अयोध्या में विवादित स्थल पर मंदिर बनाए जाने का समर्थन करने वाले शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सैयद वसीम रिजवी ने एक बार फिर इस मुद्दे को उठाया है। इस बार वसीम रिजवी ने ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड से मुगल शासकों द्वारा हिंदू मंदिर तोड़कर बनाए गए मस्जिदों/ढांचों के जायज होने को लेकर सवाल किया है। रिजवी ने पूछा है कि क्या मंदिर तोड़कर बनाए गए किसी ढांचे को वैध माना जा सकता है? शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को चिट्ठी लिखकर कहा है कि हिंदू समाज के मंदिरों को तोड़कर बनाई गई सभी मस्जिदों को वापस किया जाए। इस चिट्ठी में उन्होंने अयोध्‍या की बाबरी मस्‍जिद समेत 9 मस्जिदों का जिक्र किया है। वसीम रिजवी ने अपने खत में लिखा है, मुगल बादशाहों ने और उनसे पहले हिंदुस्तान आए सुलतानों ने हिंदुस्तान को लूटा और तमाम मंदिरों को तोड़ा। कुछ मंदिरों को तोड़ कर वहां मस्जिदें भी बनवाई गई, जिसका इतिहास गवाह है। उन्होंने कहा कि राममंदिर, मथुरा में केशव देव मंदिर , जौनपुर में अटाला देव मंदिर,  विश्वनाथ मंदिर वाराणसी की जमीन वापस करेंने की मांग की है। रिजवी ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तुलना जालिमों की पंचायत से की।

बता दें कि वसीम हमेशा से ही सुलह के पक्षधर रहे हैं और फरवरी की शुरुआत में ही अयोध्या पहुंचकर उन्होंने विवादित परिसर में विराजमान रामलला के दर्शन किए थे। उन्होंने कहा था कि कट्टरपंथी मुल्लाओं ने राम मंदिर के मामले को अब तक उलझा कर रखा है लेकिन अब उन्हें लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जल्द ही मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। सुलह की कोशिश में सूत्रधार रहे श्रीश्री रविशंकर ने भी अयोध्या मुद्दे पर उनकी बात का समर्थन किया था।

—ब्यूरो रिपोर्ट एपीएन

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