Rahul Gandhi को सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत चाहिए था, क्या हमने कभी उनसे सबूत मांगा कि वे किस पिता के बेटे हैं?: Himanta Biswa Sarma

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Himanta Biswa Sarma
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Himanta Biswa Sarma: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाने के लिए राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए आज उत्तराखंड में एक चुनावी रैली में कांग्रेस नेता पर कई विवादित टिप्पणियां कीं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी बिपिन रावत के नेतृत्व वाली सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत चाहते थे। क्या हमने कभी इस बात का सबूत मांगा कि आप किस पिता के बेटे हैं? आपको सेना से सबूत मांगने का अधिकार किसने दिया? अगर हमारे सैनिकों ने कहा है कि उन्होंने अंदर हमला किया है।

Himanta Biswa Sarma बोले- मुस्लिम समुदाय को शिक्षा की जरूरत है, हिजाब की नहीं

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Himanta Biswa Sarma

रैली में कर्नाटक में हिजाब को लेकर चल रहे विवाद पर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को कहा कि देश कर्नाटक की घटना से जूझ रहा है। उन्होंने हिजाब विवाद और देश को डुबोने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि एक शिक्षक को कैसे पता चलेगा कि कोई छात्र सीख रहा है या नहीं, अगर उन्होंने हिजाब पहन रखा है? उन्होंने आगे कहा कि मुस्लिम समुदाय को शिक्षा की जरूरत है, हिजाब की नहीं।

Karnataka Hijab Controversy
कर्नाटक में हिजाब को लेकर चल रहे विवाद

‘कांग्रेस देश को बांटने की कर रही है कोशिश’

उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस जिस तरह से देश को बांटने की कोशिश कर रही है वह चिंताजनक है। यह टुकड़े-टुकड़े गैंग का प्रतिनिधित्व कर रहा है। उनका केवल एक ही लक्ष्य है, 1947 से पहले की स्थिति को दोहराना। उन्होंने कांग्रेस पर और आरोप लगाते हुए कहा कि इससे उन्हें लगता है कि जिन्ना की आत्मा कांग्रेस में प्रवेश कर गई है।

कभी-कभी वे कहते हैं कि भारत एक राष्ट्र नहीं बल्कि राज्यों का एक संघ है। यह सब सुनकर लगता है कि जिन्ना की आत्मा कांग्रेस में आ गई है। उनकी ध्रुवीकरण की राजनीति का खत्म होना ही सही है। मुझे लगता है कि पांच राज्यों में चुनाव के बाद यह काफी हद तक खत्म हो जाएगा।

गौरतलब है कि हिमंता बिस्वा सरमा से पहले इस मामले में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा कि हर दिन प्रांत और धर्म के नाम पर देश को कोने-कोने से तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। हालात ऐसे बनाए जा रहे हैं कि समान नागरिक संहिता समय की जरूरत बन गई है। अब कुछ वर्गों के लोगों ने देश का कानून तय करना शुरू कर दिया है।

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