जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी और भारत सरकार के बीच मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए लोन की पहली किश्त जारी करने पर सहमति बनी। करार के तहत भारत सरकार को जापानी एजेंसी। बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए लोन के तौर पर 5 हजार 500 करोड़ रुपए की पहली किस्त जल्द जारी करेगी। केंद्र सरकार की योजना साल 2022 तक देश का पहला हाई स्पीड रेल कॉरिडोर शुरू करने की है। खबरों के मुताबिक, इसके लिए केंद्र सरकार जापान से बुलेट ट्रेन खरीदने की तैयारी कर रही है। ये सौदा 7 हजार करोड़ रुपए का होगा। और इसके तहत देश में ट्रेन के उत्पादन के लिए टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की शर्त भी शामिल होगी।

भारतीय रेलवे ने सार्वजनिक निजी भागीदारी यानी PPP मॉडल के आधार पर देश में ही बुलेट ट्रेन एसेंबलिंग यूनिट की स्थापना करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जापानी ट्रेन निर्माता कंपनियां कावासाकी और हिताची भारत में इस कारखाने की स्थापना कर सकती हैं। मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत में एसेंबलिंग प्लांट स्थापित करने के लिए टेंडर आमंत्रित किए जाएंगे।

रेलवे ने बुलेट ट्रेन के लिए जमीन अधिग्रहण दिसंबर, 2018 तक पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा है। जबकि, जनवरी से निर्माण कार्य शुरू हो जाने की उम्मीद है।.जापान की ओर से पहली किस्त जारी होने की सहमति के बाद। उन अटकलों को भी विराम लग गया है। जिसमें आशंका जताई जा रही थी कि भूमि अधिग्रहण में आ रही अड़चनों की वजह से जापान लोन देने में आनाकानी कर रहा है। खबरों के मुताबिक, आमतौर पर किसी भी प्रोजेक्ट में। सभी अग्रीमेंट होने के बाद ही जापान लोन देता है। लेकिन बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के मामले में उसने। शिलान्यास होने के वक्त ही लगभग 10 मिलियन येन ग्रांट के तौर पर अडवांस में दे दिए थे।

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