सीतापुर जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर हरगांव के कन्या पूर्व माध्यमिक स्कूल का बुरा हाल है यहां पढ़ने वाले 183 बच्चों की जान खतरे में है। जर्जर छत के नीचे जान हथेली पर रख कर बच्चे पढ़ने को मजबूर है। स्कूल की स्थिति किसी खंडहर की तरह है।।क्लास की दीवार बुरी तरह से जर्जर है। प्लास्टर टूट गया है और अंदर से ईंट झांक कर शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रही है। दीवार पर पेड़ उग आए हैं। पूरे दीवार पर पेड़ की जड़ नजर आ रही है। छत इस कदर जर्जर हो चुकी है कि कब गिर जाए कहा नहीं जा सकता। फर्श भी पूरी तरह से टूटी हुई है। देख कर यकीन करना मुश्किल है कि ये किसी स्कूल का क्लास रूम है। इसी हालात के बीच जर्जर और टपकती छत के नीचे यहां बच्चियां पढ़ने को मजबूर हैं। बच्चियां डर से स्कूल नहीं आना चाहती लेकिन पढ़ाई की मजबूरी ऐसी कि जान जोखिम में डाल कर भी उन्हें स्कूल जाना पड़ता है।

स्कूल की इमारत इतनी जर्जर हो चुकी है कि यहां कुछ भी सुरक्षित नहीं। आधा सत्र बीत जाने के बाद बड़ी मुश्किल से स्कूल में नई किताबे आई लेकिन बच्चों को बांटे जाने से पहले ही वो खराब हो रही है। बारिश की वजह से छत से पानी टपकता है जिसकी वजह से कमरे में रखी किताबें गीली हो रही है। वहीं पिछले सत्र की पुरानी किताबें तो पूरा तरह से भीग कर खराब हो गई है। ना बच्चों के बैठने की सुरक्षित जगह और ना ही किताबों को रखने की व्यवस्था। ऐसे में यहां पढ़ाई-लिखाई पूरी तरह से चौपट हो रही है। स्कूल के प्रिंसिपल का कहना है कि स्कूल की इस दुर्दशा को लेकर कई बार शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों से शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

स्कूल की जर्जर इमारत की वजह से यहां पढ़ने वाली बच्चियां ही नहीं टीचर भी डरे रहते हैं। पता नहीं यहां कब कोई हादसा हो जाए। खंडहर में तब्दील इस स्कूल में बारिश मुसीबत का सबब बन गई है। बारिश होने पर छत से पानी टपकता है और पूरे क्लास रूम में पानी भर जाता है लेकिन लाख शिकायतों के बावजूद शिक्षा विभाग आंखे मूंदे बैठा है। शायद अधिकारी किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे है

सरकार और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भले ही यहां पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा की चिंता नहीं लेकिन स्कूल के शिक्षक बच्चों की सुरक्षा के लेकर हर वक्त डरे रहते है। स्कूल की बिल्डिंग गिर सकती है और बड़ा हादसा हो सकता है यही वजह है कि बच्चों को क्लास रूम की बजाय बाहर खुले में पेड़ के नीचे बैठा कर पढ़ाया जा रहा है। शिक्षा व्यवस्था की इससे बड़ी दुर्दशा की तस्वीर आपको शायद ही देखने को मिले। बच्चे बाहर खुले में जमीन पर बैठ कर इसलिए पढ़ते है क्योंकि क्लास रूम में उनकी जान पर खतरा है। खौफ के साये में देश के नौनिहाल यहां अपना भविष्य बनाने की जद्दोजहद कर रहे हैं।

हरगांव के कन्या पूर्व माध्यमिक स्कूल में छत गिरने के डर से बच्चों को बाहर बैठा कर पढ़ाया जाता है लेकिन यहां भी बच्चों की मुसीबतें कम नहीं होती। जान का खतरा भले ही टल जाए लेकिन मौसम की मार से बच्चे अकसर बीमार पड़ते रहते है। गर्मी के दिनों में लू लगने का डर तो जाड़े में ठंड लगने का खतरा। बरसात में तो यहां अकसर छुट्टी ही करनी पड़ी है। ऐसे में आप समझ सकते है कि यहां कैसे पढ़ाई होती होगी। स्कूल में बिजली का कनेक्शन कटा हुआ है तो पानी और शौचालय भी यहां पढ़ने वाले बच्चों के लिए समस्या बनी हुई है। कुल मिला कर इस स्कूल का माहौल ऐसा है कि यहां पढ़ाई करना किसी जंग लड़ने से कम नहीं। इतनी चुनौतियों से जूझने के बाद यहां बच्चे कैसे पढ़ते होंगे, ये बड़ा सवाल है

                                                                                                                -ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन

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