Hijab Vivad: कर्नाटक के उडुपी में हिजाब को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। हिजाब विवाद के कारण हुई हिंसा की घटनाओं के कारण कर्नाटक में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। कर्नाटक उच्च न्यायालय(HC) ने राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू कर दी है। बता दें कि, मुख्य न्यायाधीश रितुराज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की 3 जजों की बेंच राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रोफेसर रविवर्मा ने सवाल उठाया है कि ड्रेस कोड बदलने से पहले नोटिस जारी होता है। नियम यह कहता है कि जब भी कोई शिक्षण संस्थान वर्दी बदलने का इरादा बनाते हैं, तो माता-पिता को एक साल पहले नोटिस जारी करना पड़ता है।अगर हिजाब पर बैन लगाना है तो उसके लिए भी एक साल पहले सूचित करना चाहिए।
Hijab Vivad कोई धार्मिक कट्टरता नहीं आस्था और सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है
वकील रविवर्मा कुमार ने कहा कि सरकार केवल हिजाब को ही क्यों चुन रही है। सरकार चूड़ी पहनी हिंदू लड़कियों और क्रॉस पहनने वाली ईसाई लड़कियों को क्लास से बाहर क्यों नहीं भेज रही है। अब सवाल ये है कि हिजाब पर अभी तक तो कोई बैन नहीं है तो छात्रों को किस अधिकार और नियम के तहत कक्षा सें बाहर रखा? उन्हें क्यों नहीं प्रवेश दिया गया ? बता दें कि इससे पहले मंगलवार को हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने दलीलें दी थीं। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि, हिजाब विरोध धार्मिक कट्टरता नहीं, बल्कि आस्था और सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। इस दौरान उन्होंने विदेशी अदालतों के फैसलों का भी उल्लेख किया।
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