गुजरात चुनाव अब गरमाता नजर आ रहा है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे चुनावी सरगर्मियां बढ़ने लगी है। पार्टियां गुजरात के सियासी मैदान में उतर चुकीं है। इस चुनावी सियासत की बाजी जीतने के लिए एक तरफ जहां कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं तो दूसरी तरफ लगातार 22 सालों से गुजरात की सियासी राज की कमान संभाले भाजपा अपने ही गढ़ में मात न खाने की कोशिशों में लगा है।

इसके साथ ही यहां की सियासी उथल पुथल देखी जा सकती है। ऐसे में कांग्रेस और भाजपा की नजर पटेल समुदाय और युवा पटेल नेता हार्दिक पटेल टिकी हुई हैं। हार्दिक पटेल को दोनों खेमा अपनी ओर लेना चाहती हैं। जिसे लेकर गुजरात की चुनावी रणनीति में उलटफेर का दौर चालू हो गया है।

एक तरफ जहां हार्दिक पटेल कांग्रसी नेता के साथ मुलाकत किया तो दूसरी तरफ पाटीदार समाज ने एक प्रेस कांफ्रेंस में यह साफ कर दिया कि पाटीदार समाज किसी राजनीतिक गतिविधि का हिस्सा नहीं बनेगा। वैसे भी कांग्रेस ने कई वादे भी किये लेकिन “आरक्षण” के मामले पर यह बैठक बेनतीजा रही। ऐसे में देखा जाए तो हार्दिक पटेल का आंदोलन एक निजी राजनीतिक आंदोलन बनकर रह गया है। ऐसे में गुजरात चुनावों से पहले ही पाटीदारों के बीच दरार पड़ती दिखाई दे रही है। वहीं पाटीदारों के बीच आपसी कलह से भाजपा को उम्मीद है कि इसका  पूरा फायदा उनकी झोली में आएगा।

जानकारी के मुताबिक जब कांग्रेस नेताओं और हार्दिक पटेल के बीच बैठक हुई तो पटेल ने उनके सामने कुछ शर्तें रखीं थी। लेकिन बताया जा रहा है कि हार्दिक पटेल की सारी शर्तों को अभी तक कांग्रेस ने नहीं माना है। इस बीच, हार्दिक ने अब दूसरे राजनीतिक दलों के दरवाजे पर दस्तक देना शुरू कर दिया है। एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने बुधवार को हार्दिक पटेल से मुलाकात की। प्रफुल्ल पटेल वही नेता हैं, जिन्होंने पिछले दिनों गुजरात के राज्यसभा चुनाव के दौरान एनएसीपी विधायक को कॉल करके बीजेपी के पक्ष में वोट दिलवाया था।

गौरतलब है कि गुजरात में पहले चरण का मतदान 9 दिसंबर और दूसरे चरण का मतदान 14 दिसंबर को होगा। इसके अलावा गुजरात में 22 सालों से भाजपा का शासन है और इस बार कांग्रेस पाटीदार, ओबीसी व दलित युवा नेताओं की बदौलत सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही है। पाटीदार समाज के भीतर वर्तमान सरकार के खिलाफ आक्रोश है। आरक्षण आंदोलन के नेताओं के खिलाफ मामले दर्ज होने के बाद पाटीदारों की नाराजगी सरकार से बढ़ गई है।

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