उत्तर प्रदेश में गोंडा जिले की सदर विधानसभा सीट क्षेत्र के बहुजन समाज पार्टी के विधायक जलील खां का गुरूवार की सुबह निधन हो गया। रमजान केदौरान सहरी के वक्त उन्हें तेज सांस फूलने और सीने में दर्द की शिकायत हुई। परिवारीजन तत्काल उन्हें जिला अस्पताल लेकर पहुंचे जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। वह 62 वर्ष के थे।

पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि रोजा रह रहे जलील खां जैसे ही भोर में सेहरी के समय उठे रक्तचाप कम होने से उनकी तबियत बिगड़ने लगी और एक निजी नर्सिंग होम में उपचार के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली।

मायावती के बेहद ही करीबी रहे जलील खां ने वर्ष 2002 में अपना राजनीतिक सफर शुरू किया। उन्होने गोण्डा के सदर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन वह मामूली अंतर से हार गये थे।

वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने भरोसा जताते हुये उन्हें दोबारा वर्ष 2007 में टिकट दिया और उन्होने जीत दर्ज की। गोंडा से बसपा का खाता खोलकर पार्टी का परचम लहराया। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में गुटबाजी का शिकार हुए जलील खान को निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ा। जलील की सादगी, मिलनसार स्वभाव और गंगा-जमुनी तहजीब के कारण बिना जलील बसपा का जनाधार तेजी से खिसकता देख बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हे वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा का टिकट देकर मैदान में उतार दिया, लेकिन मोदी लहर के कारण बसपा को करारी शिकस्त मिली।

बसपा के कद्दावर नेताओं में उनकी गिनती होती रही। उनके निधन की खबर मिलते ही गोंडा के बसपा कार्यकर्ताओं समेत लखनऊ में भी शोक छा गया। बेहद मिलनसार और ईमानदार छवि वाले पूर्व विधायक के निधन से गोंडा निवासियों में भी शोक है। उनके अंतिमम दर्शन के लिए गोंडा स्थित पैतृक आवास पर लोगों का तांता लगा है।

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