टाटा समूह के 150 साल के इतिहास में इस समूह की बागडोर पहली बार किसी गैर-पारसी व्यक्ति के हाथ में दी जा रही है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) का सफलतापूर्वक प्रतिनिधित्व करने के बाद नटराजन चंद्रशेखरन उर्फ चंद्रा आज मंगलवार को टाटा संस की कमान संभालेंगे। वह टाटा समूह की अनेक परिचालन कंपनियों की प्रवर्तक फर्म टाटा संस के नए चेयरमन होंगे।  54 वर्षीय चंद्रशेखरन में ऐसे सभी गुण मौजूद हैं जिससे वह इस औधोगिक घराने में पिछले कुछ समय से मच रहे घमासान को जड़ से खत्म करने में कामयाब होंगे। टाटा संस के नए मुखिया चंद्रा का पहला काम अपने उन सहयोगियों की नियुक्ति करना होगा जो इस संस्था को आगे चलाने में उनकी मदद करें।

24 अक्टूबर को पूर्व चेयरमैन सायरस मिस्त्री की अचानक बर्खास्तगी के बाद चेयरमैन का पद खाली हो गया था। जिसके बाद अस्थायी तौर पर रतन टाटा को अंतरिम चेयरमैन बनाया गया था। इसके अलावा नए चेयरमैन की तलाश में एक समिति गठित की गई थी। इसी समिति ने चंद्रा को 12 जनवरी को टाटा संस का चेयरमैन भी नियुक्त किया था।

टीसीएस के नए मुखिया बनने से पहले चंद्रा ने कहा था कि जिम्मेदारी बहुत बड़ी है, टाटा संस के भविष्य की इस राह में जिम्मदारियों के साथ-साथ चुनौतियां भी हैं  और अवसर भी।  उन्होंने कहा कि टाटा स्टील के यूरोपीय संचालन को बढ़ावा देने की तरफ कदम उठाना हमारी प्राथमिकता होगी। उन्होंने कहा कि खासतौर पर ब्रिटेन में ध्यान देना ज्यादा जरूरी है क्योंकि वहां पर हमारा कारोबार शुरु हो चुका है।

इसके अलावा चंद्रशेखरन के सामने एक और बड़ी चुनौती है और वो है रतन टाटा की ड्रीम परियोजना नैनो। पूर्व चेयरमैन सासरस मिस्त्री, नैनो कारोबार को बंद करना चाहते थे। नैनो परियोजना फिलहाल 1,000 करोड़ के घाटे में है और अब यह उम्मीद लगाई जा रही है कि एन चंद्रशेखरन नैनो की भविष्य पर कुछ बेहतर फैसला लेंगे।

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