Mahant Narendra Giri की मौत मामले में पॉलीग्राफी टेस्ट की अनुमति की मांग, CBI ने अदालत में डाला अर्जी

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नरेंद्र गिरि प्रयागराज में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और बाघम्बरी गद्दी के महंत थे।

Mahant Narendra Giri की मौत मामले में पॉलीग्राफी टेस्ट की अनुमति की मांग को लेकर CBI की तरफ से अदालत में अर्जी दी गयी है। तीनों अभियुक्तों आनंद गिरि, आद्या प्रकाश तिवारी व संदीप तिवारी को 27 सितंबर को कोर्ट ने पांच दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया था। सीबीआई की तरफ से पूछताछ के लिए 10 दिनों की रिमांड मांगी गयी थी।

सीबीआई चाहती है पॉलीग्राफी टेस्ट

इस मामले में इलेक्ट्रॉनिक गेजेट की जानकारी लेने के लिए जांच एजेंसी प्रयास कर रही है। अब पॉलीग्राफी टेस्ट की जरूरत महसूस की जा रही है। मामला सीजेएम प्रयागराज की अदालत में 18 अक्टूबर को सुना जायेगा। सीबीआई ने सेन्ट्रल फोरेंसिक साइंस लैबोरेट्री नई दिल्ली के विशेषज्ञों को नैनी जेल आने के लिए कहा गया है। एक टीम गठित की गई है। एजेंसी ने कोर्ट से मंजूरी मांगी है ताकि सच सामने आ सके। वह तीनों आरोपियों की सहमति भी लेगी।

पिछले महीने नरेंद्र गिरि की हुई थी मौत

प्रयागराज में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और श्री बाघम्बरी गद्दी मठ के महंत नरेंद्र गिरी (Narendra Giri) की संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई थी। उनका शव अल्लापुर स्थित अपने मठ के कमरे में लटकता हुआ मिला था। मामले में पुलिस के उच्च अधिकारी पहले जांच कर रहे थे बाद में इसे सीबीआई को दिया गया। पिछले दिनों श्री बाघम्बरी गद्दी मठ को लेकर नरेंद्र गिरि का अपने शिष्य आनंद गिरि (Anand Giri) के साथ विवाद चला था। हालांकि शिष्य आनंद गिरि ने कहा है कि गुरुजी की हत्या की गई और इस मामले की गहन जांच होनी चाहिए।

बता दें कि देश भर में नरेंद्र गिरि साधु संतों के बीच काफ़ी पैठ रखते थे। उनकी अध्यक्षता में अखाड़े का निर्णय अंतिम होता था। महाकुंभ, अर्धकुंभ या अन्य कोई भी बड़ा धार्मिक आयोजन, उनकी राय अवश्य ली जाती थी।

शिष्य आनंद गिरी का बयान

पुलिस हिरासत में लिए गए शिष्य आनंद गिरी ने कहा था कि उनकी हत्या कर मुझे फंसाने की साजिश की जा रही है। मठ की जमीन हड़पने औऱ वर्चस्व को लेकर उनकी हत्या की गई है। वो आत्महत्या नहीं कर सकते। उनकी हत्या की गई है। मठ की संपत्ति को बेचकर लोग बड़ी- बड़ी हवेलियां बनाना चाहते थे। सिपाही अजय सिंह, मनीष शुक्ला, विवेक अभिषेक मिश्रा का नाम सामने आया है। कई अन्य लोग भी मठ की संपत्ति के लाभ को लेकर निगाहें गड़ाये थे। आनंद गिरी ये भी कहा कि मई के बाद मेरी गुरुजी की मुलाकात नहीं हुई थी। आख़िर वक़्त लखनऊ में मिले थे।

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