जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद (Umar Khalid) के वकील ने दिल्ली की एक अदालत को बताया कि पुलिस “हर आरोपी को एक ही रंग में रंगना चाहती है”। वरिष्ठ वकील त्रिदीप पेस ने एडिशनल सेशन जज अमिताभ रावत के सामने उत्तरपूर्वी दिल्ली दंगों (Delhi Riots) के यूएपीए मामले में खालिद की जमानत के लिए बहस करते हुए अपनी दलीलें दीं। जज ने मामले को 2 नवंबर को आगे की सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया है।
पेस ने यह कहते हुए अपनी दलीलें शुरू कीं कि खालिद के खिलाफ 17 अलग-अलग आरोप हैं और वह बताएंगे कि कैसे “यूएपीए नहीं बनता” और “आरोप अकल्पनीय हैं।” पेस ने अदालत को बताया कि खालिद के खिलाफ “एक आरोप सामने आया है” कि उनके निर्देशन में मुस्लिम छात्रों का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया था। पेस ने अदालत को बताया, “मुस्लिम छात्रों का एक ग्रुप बनाना, क्या यह आतंक है? नहीं। ”
पेस ने कहा कि खालिद ने कभी इस ग्रुप पर एक भी मैसेज नहीं भेजा। उमर खालिद की ओर से कहा गया, “मेरे और शरजील इमाम के बीच कोई संवाद नहीं … सिर्फ एक ग्रुप में होना कोई अपराध नहीं है।” पेस ने कहा कि जेएनयू का छात्र शरजील इमाम, खालिद और योगेंद्र यादव की आलोचना करता रहा है। वकील ने कहा कि यह आरोप कि इमाम, खालिद के निर्देशों का पालन कर रहा था, एक फिल्म की पटकथा की तरह लग रहा है।
पेस ने अदालत को बताया कि जब आप चार्जशीट देखते हैं तो पुलिस “हर आरोपी को एक ही रंग में रंगना चाहती है”। क्या आपको उस ग्रुप से गवाहों के बयान मिले हैं? इसका आधा हिस्सा आईओ और इस चार्जशीट की पटकथा लेखकों की उर्वर कल्पना है।” पेस ने तर्क दिया कि कोई भी गवाह यह नहीं कहता है कि शरजील इमाम उमर खालिद को जानता है।