लाल किले की दिवारों को जवानों के खून से लाल करने वाले आंदोलनकारी किसानों के खिलाफ दिल्ली पुलिस सख्त हो गई है। अब तक 22 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। इसमें किसान नेता राकेश सिंह टिकैत, योगेंद्र यादव और वी एम सिंह का नाम शामिल है। बता दें कि दिल्ली हिंसा में 394 पुलिसकर्मी बुरी तरह से जख्मी हो गए हैं। कई लोग आईसीयू में भर्ती हैं। इन सभी घायलों से देश के गृह मंत्री अमित शाह आज मुलाकात भी करेंगे।

इतिहास में पहली बार हुआ की दिल्ली में गणतंत्र दिवस का दिन हुड़दंग दिवस में बदल गया। हिंसा की पूरी कहानी दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस.एन श्रीवास्तव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए बताई है।

कमिश्नर ने आंदोलनकारी किसानों को विश्वासघाती बताया है। एस. एन श्रीवास्तव ने कहा कि, किसानों ने हमारे विश्वास को तोड़ा है। जो रूट हमने तय किया था किसानों ने उसे न अपना कर खुद का रास्ता बना लिया जिसके कारण इतनी बड़ी हिंसा हुई। उन्होंने ये भी कहा कि हमने किसानों के ट्रैक्टर मार्च करने का समय 12 बजे तय किया था लेकिन वे सुबह 8 बजे से ही बैरिकेड को तोड़ने लगे जिसके बाद मजबूरन आंसू गैस के गोले छोड़े गए और लाठी चार्ज करनी पड़ी।

बता दें कि दिल्ली दंगे को लेकर पुलिस और सरकार के बयान पूरी तरह से अलग हैं। केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रीप्रकाश जावड़ेकर ने हिंसा का जिम्मेदार राहुल गांधी को बताया है। जावड़ेकर ने कहा कि राहुल के ट्वीट के बाद ही लोग आक्रमक हो गए जिसके बाद दिल्ली में किसानों ने उत्पात मचाना शुरू किया।

प्रकाश जावडेकर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, दिल्ली हिंसा निंदनीय है। जो भी दोषी पाया जाता है उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। राहुल गांधी लगातार किसानों को उकसा रहे हैं। सीएए के दौरान भी उन्होंने ऐसा किया था। किसानों को जानबूझकर भड़काया जा रहा है।

बता दें कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस. एन श्रीवास्तव ने 27 जनवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी जिसमें उन्होंने कहा कि, “दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने कहा कि, क्योंकि 26 जनवरी थी तो ये तय हुआ कि कुछ शर्तों के साथ लिखित में दिया जाए। पहली शर्त थी कि किसान ट्रैक्टर रैली 12 बजे से शुरू होगी और 5 बजे तक खत्म हो जाएगी। इसके बाद दूसरी शर्त थी कि किसान लीडर ट्रैक्टर मार्च को लीड करें। इसके बाद ये भी तय हुआ कि हर जत्थे के साथ लीडर साथ चलें, जिससे वो उसे कंट्रोल कर सकें. ये भी कहा गया था कि 5 हजार से ज्यादा ट्रैक्टर न हों, कोई भी हथियार, भाला या डंडा हाथ में नहीं होना चाहिए। लिखित रूप में किसान नेताओं ने सभी शर्तों को मंजूर किया और तय किया कि रैली 12 बजे से शुरू होगी।”

“श्रीवास्तव आगे कहते हैं, लेकिन देर 25 जनवरी की शाम को ये समझ आया कि वो अपने वादे से मुकर रहे हैं। जो अग्रेसिव और मिलिटेंट मेंबर थे उन्हें आगे किया गया। उन्होंने बहुत भड़काऊ भाषण भी दिए। जिससे समझ में आ गया कि उनकी क्या मंशा है। अगले दिन सुबह साढ़े 6 बजे से ही उन्होंने बैरिकेड तोड़ना शुरू कर दिया। किसान मुकरबा चौक तक पहुंचे, वहां से दाहिने न मुड़कर वो वहीं बैठ गए। उनके नेता सतनाम सिंह पन्नू ने भड़काऊ भाषण दिया। इसके बाद किसानों ने बैरिकेड तोड़ना शुरू कर दिया। एक और किसान नेता दर्शनपाल सिंह भी वहां मौजूद थे। उन्होंने दाहिने मुड़ने से मना कर दिया।”

किसान टिकरी बॉर्डर, सिंघू बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले 2 महीने से आंदोलन कर रहे हैं। इस आंदोलन को आग देने के लिए किसानों 26 जनवरी के दिन शांतिपूर्ण तरह से ट्रैक्टर मार्च करने का वादा किया था। लेकिन वादा धरा का धरा रह गया।

गणतंत्र दिवस की दिन पुलिस ने किसानों पर लाठियां बरसाई तो किसानों ने भी जवानों पर पथराव किया। इस हिंसा में 2 किसानों की मौत हो गई है और 394 पुलिसकर्मी घायल हैं वहीं 22 लोगों पर केस दर्ज किया गया है।

हिंसा को लेकर पुलिस और नेता अलग-अलग बयान पेश कर रहे हैं पुलिस किसान नेताओं को जिम्मेदार बता रही है तो सत्ता में बैठे नेता विपक्ष पर हमलावर हैं।

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