देश के गरीब और आम जनता को इससे कोई मतलब नहीं रहता कि देश की जीडीपी कितनी है और कितनी होनी चाहिए। क्योंकि ये लोग आसमान में नहीं जमीन पर रहते हैं इसलिए कागजों में कम व्यावहारिकता में ज्यादा जीते हैं। इनको बस दो वक्त की रोजी-रोटी चाहिए होता है लेकिन अगर उसी के दाम बढ़ जाएं तो इनका जीना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में कोई सरकार चाहे लाख गरीबी की बात कर ले, सच्चाई कुछ और ही बयां करती है। महंगाई और बेरोजगारी के इस दौर में ये खबर राहत पहुंचाने वाली है। सितंबर महीने में थोक मंहगाई के मोर्चे पर राहत देखने को मिली है। सितंबर में थोक महंगाई 3.24 फीसद से घटकर 2.6 फीसद हो गई है।

अगस्‍त में थोक महंगाई दर 3.24 फीसदी पर थी, जो कि चार माह के सबसे ऊंचे स्तर पर था। सरकार की तरफ से जारी डाटा के मुताबिक सब्जियों के दाम में कमी आई है। सितंबर में सब्जियों के दाम 15.48 पर पहुंच गए हैं जबकि अगस्त में ये 44.91 के स्तर पर था। हालांकि प्‍याज के दामों में सितंबर में राहत नहीं दिखी। सितंबर महीने में प्‍याज के दाम 79.78 फीसदी के स्‍तर पर पहुंच गए। वहीं, अंडे, मीट और मछलियों के दाम 5.47 फीसदी के स्‍तर पर रहे। ईंधन और पावर सेक्‍टर की बात करें, तो यहां भी महंगाई से राहत मिली है। सितंबर महीने में इस सेक्‍टर के लिए महंगाई 9.01 फीसदी पर रही जबकि अगस्‍त में यह 9.99 फीसदी थी। इस बाबत दाल के कीमतों में भी कमी आई है। दालों के दाम में 24.26 फीसद की गिरावट आई है, वहीं आलू की कीमतों में 46.52 फीसद और गेहूं की कीमतों में 1.71 फीसद की कमी दर्ज की गई है।

आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल सितंबर की तुलना में इस साल सितंबर में खाद्य पदार्थो के दाम 2.04 प्रतिशत की मामूली दर से बढ़े हैं। बता दें कि मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर के लिए थोक महंगाई के मोर्चे पर राहत नहीं मिली है। सितंबर में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की थोक महंगाई दर 2.45 फीसदी से बढ़कर 2.72 हो गई है।

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