बिहार में पहली बार सारण से एक साथ नौ अनाथ बच्चों को उनके माता-पिता से मिलवाने का काम किया गया। बिहार ही नहीं इसके अलावा झारखंड उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश समेत अन्य प्रदेशों से अपने परिवार से बिछड़कर शहर के बाल गृह में अनाथों की तरह जिंदगी काट 9 बच्चों को बाल संरक्षण इकाई ने पहल कर मम्मी-पापा से मिला दिया।

आपको बता दें कि गुरुवार को समाहरणालय सभागार में परिवार एकीकरण समारोह का आयोजित किया गया। इसमें बच्चों में उनके माता-पिता को सौंप दिया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ समाज कल्याण विभाग के निदेशक आईएएस राजकुमार, उपविकास आयुक्त रौशन कुशवाहा एवं पुलिस अधीक्षक हरकिशोर राय ने किया।

समाज कल्याण विभाग के निदेशक ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि बाल गृह में रह रहे सभी बच्चों का आधार कार्ड बनाया जा रहा था। इसी दौरान नौ बच्चों के पहले से ही आधार कार्ड बनने की बात सामने आई। इसके बाद बिहार के अलावा झारखंड उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण विभाग से संपर्क बच्चों के परिजनों का पता किया गया।

उन्होंने कहा कि बच्चे अनमोल होते हैं। वे ईश्वर का रूप होते हैं। उनका ख्याल रखना जरूरी है। बाल संरक्षण इकाई को ऊंचाई तक ले जाना है ताकि दूसरे प्रदेशों के अधिकारी यहां आकर अध्ययन कर सकें।

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के के रहने वाले मां-बाप अपने बच्चे से मिल कर भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि बच्चे से बिछड़ने के बाद खोजने के लिए दो लाख रुपए खर्च कर दिए। फिर भी बेटा नहीं मिला। लेकिन आधार मैच कर जिले के पदाधिकारियों ने मेरे बच्चे को खोज निकाला। यह कदम काफी प्रशंसनीय है। इन पदाधिकारियों का कर्ज जिंदगी में कभी नहीं उतर पाएगा।

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