हिंदू समाज के लोग गाय को माता का दर्जा देते हैं। क्योंकि वह हमारे पालन-पोषण में बेहद सहायक है। खासकर बच्चों के लिये उसका दूध किसी अमृत की तरह है। दिन की शुरूआत हो या संतुलित आहार की श्रृंखला की बात गाय के दूध का कोई विकल्प नहीं है। दूछ से बनी घी तो इलाज के काम आती है। आयुर्वेद प्राचीन काल से इसका सदुपयोग करता आ रहा है। लेकिन मां रुपी इन गायों को कुछ स्वार्थी तत्व मतलब खत्म होने या खिलाने से बचने के लिये उसे भटकने के लिये छोड़ देते हैं। जिससे इनकी बेबस जिंदगी कूड़े के ढेर और खुले आसमान के नीचे गुजरती है।

बता दे की पौड़ी में गायें कूड़े के ढेर से अपना पेट भरने को मजबूर हैं। इससे समय-समय पर दुर्घटनाओं की खबरें भी आती रहती है। पौड़ी प्रशासन ने शहर की जनता और गायों को इन सभी परेशानियों से निजात दिलाने की पहल की है। नगर पलिका पौड़ी ने मांडाखाल के पास एक गौसदन के लिये जमीन का इंतजाम किया है। जिसमें जल्द ही गायों के लिये आशियाने का निर्माण कार्य शुरू होगा। इस गोधाम में लगभग 80 बेसहारा गायों के रहने की व्यवस्था पौड़ी नगर पालिका करेगी। इसके बावजूद अगर पालतू गाय सड़कों पर देखी जाती है तो प्रति गाय मालिकों से पांच हजार रूपये वसूले जाएंगे।

पौड़ी नगर पालिका के इस प्लान से शहर में फैल रही गंदगी और जाम से काफी हद तक निजात मिलेगी। पालिका ने सभी पालतू गायों पर टैगिंग कर उनकी सूची बना ली है। पालतू गायों के सड़क पर दिखने पर अब तक 40 से ज्यादा मालिकों को भी नोटिस भेजे गये हैं। इसके बाद भी पालतू गायों के दिखने पर मालिकों को चालान भेजा जाएगा। पौड़ी नगर पालिका जिलाधिकारी के आदेश के बाद मांडाखाल में गोसदन के निर्माण कार्य को अंजाम देने के लिये सभी जरूरी कार्रवाई पूरी कर चुका है। जिससे इन गायों की जिंदगी बेहतर हो सके, शहर साफ और जाम मुक्त रहे। ऐसे में उचित तो यही है कि मां की तरह आजीवन देखभाल करने वाली गाय और गंगा की हिफाजत की जाये। जिससे हमारी जिंदगी प्रदूषणमुक्त और स्वस्थ हो सके।

                                            – ब्यूरो रिपोर्ट,एपीएन

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