राजनीतिक पार्टियां अपने फायदे के लिए किसी को भी झूठा और किसी को भी सच्चा बना लेती है। पल भर में भरोसा हो जाता है पल भर में भरोसा टूट जाता है। एक जमाना था जब बैलेट से वोट डाले जाते थे तब यहीं पार्टियां कहा करती थी कि बूथ कैपचरिंग कर चुनाव जीता है। खूब धांधली हुई है 2004 में पहली बार ईवीएम, वीवीपैट मशीन से चुनाव हुए। तो जिन राजनीतिक पार्टियों को फायदा हुआ वो ईवीएम का गुणगान करने लगें जिसे फायदा हुआ वो कहने लगी कि ईवीएम में बेईमानी नहीं होती है। सालों से सब कुछ ठीक चल रहा है। जब बीजेपी विपक्ष में थी तो ईवीएम पर सवाल उठा रही थी, अब विपक्षी दल पर सवाल उठा रही है। क्योंकि अब सत्ता में बीजेपी है और लगातार जीत रही है। ऐसा क्यों हो रहा है जब खुद कोई पार्टी जीतती है तो ईवीएम पर चुप रहती है। जब हार होती है तो खोट दिखती है।

मिशन 2019 में विपक्ष किसी भी तरह बीजेपी को हराना चाहती है। विपक्षी पार्टियां महागठबंधन बना कर मोदी के रथ को रोकना चाहती है। लगातार बीजेपी की जीत पर सवाल उठाते हुए ईवीएम में खोट बताते हुए बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग तेज कर दी है। 17 विपक्षी दलों का प्रतिनिधिमंडल बहुत जल्द ही चुनाव आयोग से मुलाकात कर बैलेट पेपर से वोटिंग कराने की मांग करेंगे। इस बार विपक्षी दलों के खेमे में शिवसेना भी चुनाव आयोग से शिकायत करेगी। बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग के साथ चुनाव आयोग से मुलाकात करने के मुद्दे पर विपक्षी दलों की अगले सप्ताह बैठक होने की उम्मीद है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी सहित कई विपक्षी दल बैलेट से चुनाव की मांग कर चुके हैं। अब ममता सारी विपक्षी दलों को एक जुट करने में जुटी हैं।

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी, वाईएसआर कांग्रेस, द्रमुक, जेडीएस, टीडीपी, वाम दल, आरजेडी और शिवसेना ने विरोध किया है। उधर चुनाव आयोग ने कहा है कि ईवीएम को बलि का बकरा बनाया जा रहा है, क्योंकि मशीनें बोल नहीं सकतीं इस लिए आरोप लगाए जा रहे हैं। राजनीतिक दलों को अपनी हार के लिए किसी न किसी को जिम्मदार ठहराने की जरूरत होती है।

आयोग ने कहा कि बैलेट पेपर वापस लाने की कोई संभावना नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि चुनाव में लगातार हारने वाली पार्टियों को ईवीएम से आपत्ति क्यों हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी को 67 सिटें मिली तब ईवीएम खराब नहीं थी, जब पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनी तब खुद अमरिंदर सिंह ने ईवीएम पर विश्वास जताया था, अब सवाल क्यो? क्या सियासी पार्टियां अपनी खामियां छुपाने के लिए ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं ?

                                                                                                                       एपीएन ब्यूरो

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