जहां एक तरफ नए साल के साथ यूपी के मौजूदा डीजीपी सुलखान सिंह का कार्यकाल आज खत्म हो गया है। वहीं यूपी को नए डीजीपी मिल गए है। तमाम नामों के बीच सीएम योगी आदित्यनाथ ने 1983 बैच के आईपीएस ओमप्रकाश सिंह पर भरोसा जताया और ओमप्रकाश सिंह को डीजीपी के तौर पर जिम्मेदारी सौंपने का फैसला लिया।

आपको बता दें कि ओपी सिंह के अलावा कई नामों की चर्चा थी। जिनमें प्रवीण सिंह, शिव कुमार शुक्ला, भावेश कुमार सिंह और रजनीकांत मिश्रा  भी पंक्ति में थे। लेकिन ओपी सिंह सीएम योगी की पहली पसंद बने।

हालांकि, वरिष्ठता के आधार पर फायर सर्विसेज के डीजी प्रवीण सिंह सबसे आगे थे, लेकिन अगर सरकार के पसंद की बात की जाए तो भावेश कुमार सिंह काफी आगे नजर आ रहे थे जो कि डीजी इंटेलिजेंस के पद पर हैं और उनका कार्यकाल अभी इतना बचा है कि 2019 का चुनाव बिना डीजीपी बदले निकाला जा सकता है।

ओपी सिंह को अचानक लखनऊ बुलाया गया है, वो चेन्नई से यहां पहुंचेंगे। इससे पहले IPS ओपी सिंह CISF में डीजी के पद पर थे। वरिष्ठता के मामले में ओपी सिंह सबसे लंबे कार्यकाल वाले 7वें नंबर के अफसर हैं। लंबा कार्यकाल और अनुभव ही उनके लिए लिए मुफीद रहा। पदभार संभालने के बाद वो ढाई साल तक उत्तर प्रदेश में डीजीपी के पद पर रहेंगे।

हालांकि, योगी सरकार में बदमाशों और अपराधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए गए हैं, लेकिन फिर भी नए डीजीपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश में कानून व्यवस्था को ट्रैक पर लाने की होगी। आपको बता दें कि योगी सरकार के 10 महीने के कार्यकाल में करीब 1000 एनकाउंटर कर 2,000 से अधिक अपराधियों को जेल में पहुंचाया गया है।जो योगी सरकार की बहुत बड़ी सफलता है।

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