छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की युगल पीठ ने रायपुर स्थित हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति की पुनः नियुक्ति को निरस्त कर दिया है। हाईकोर्ट ने यह फैसला यूनिवर्सिटी के कुलपति के कार्यकाल के खिलाफ लगाई गई अपील पर पर दिया है। सोमवार को हाई कोर्ट जस्टिस गौतम भादुड़ी के सिंगल बैंच में मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कुलपति द्वारा स्वयं के कार्यकाल को बढ़ाने को अवैध करार देते हुए उनकी नियुक्ति के कार्यकाल बढ़ाने के निर्णय को निरस्त कर दिया है।

आपको बता दें कि हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. सुखपाल सिंह की नियुक्ति वर्ष 2011 से 2016 तक के लिए हुई थी। इसके पहले डॉ. सुखपाल सिंह बनारस के यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे। इस बीच 6 सितंबर 2014 को कार्यकारणी कि बैठक हुई, जिसमेंल सिंह द्वारा बैठक के एजेंडे में शामिल न होने के बाद भी कार्यवाही पंजी में दर्ज करके अपना कार्यकाल फिर से 5 वर्षों के लिए बढ़ा लिया गया।

साल 2015 में एक बैठक फिर से बुलाई गई। उस बैठक में कार्यकाल बढ़ाये जाने का मुद्दा उठा।बैठक में प्रोफेसर अविनाश भी थे, उन्हें जब कुलपति सिंह द्वारा अपना कार्यकाल खुद बढ़ा लिए जाने की जानकारी हुई तो उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय के चांसलर, विधि सचिव, शासन और डॉ. सुखपाल सिंह को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था।

नोटिस के जवाब के बाद यूनिवर्सिटी के वकील ने दलील प्रस्तुत करते हुए कहा कि कुलपति के कार्यकाल को सिर्फ वही चुनौती दे सकता है, जो कुलपति बनने की दौड़ में हो या फिर वह वह चुनौती दे सकता है जो कार्यपरिषद का सदस्य न हो।
सुनवाई के बाद हाई कोर्ट के सिंगल बैंच ने कार्यकाल को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। याचिका खारिज होने के बाद याचिकाकर्ता प्रोफेसर अविनाश ने हाई कोर्ट के डिवीजन बैंच में अपील फाइल कि गई थी।

हाई कोर्ट जस्टिस गौतम भादुड़ी के डिवीजन बैंच में प्रो. अविनाश सामल ने एडवोकेट अमृतो दास के जरिए अपील प्रस्तुत की गई थी। इस पर जस्टिस गौतम और जस्टिस संजय अग्रवाल की बेंच में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने अपील मंजूर करते हुए 6 सितंबर 2014 को कार्यपरिषद की बैठक में कुलपति का कार्यकाल बढ़ाने के फैसले को निरस्त कर दिया है।

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