Chaitra Navratri 2022: देवी के तीसरे स्‍वरूप मां चंद्रघंटा के दर्शनों को उमड़ी भक्‍तों की भीड़, देवी को सफेद वस्‍तु का भोग लगाकर करें प्रसन्‍न

Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा-अराधना की गई। दिल्‍ली-एनसीआर के मंदिरों में देवी चंद्रघंटा की पूजा, आरती और दर्शन कर भक्‍तों ने सुख-समृद्धि की कामना की।

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Chaitra Navratri 2022
Chaitra Navratri 2022

Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा-अराधना की गई। दिल्‍ली-एनसीआर के मंदिरों में देवी चंद्रघंटा की पूजा, आरती और दर्शन कर भक्‍तों ने सुख-समृद्धि की कामना की। करोल बाग स्थित मां झंडेवालाना मंदिर में सुबह से ही भक्‍तों का आना-जाना लगा रहा।

नेहरू प्‍लेस स्थित मां कालका जी मंदिर में भी भक्‍तों का तांता लगा रहा। रोहिणी स्थित सनातन धर्म मंदिर, तिलक नगर के सात मंजिला मंदिर और हरिनगर स्थित मां संतोषी जी के मंदिरों में भी भक्‍तों की लंबी कतारें देखने को मिलीं। ऐसी मान्‍यता है कि देवी को सफेद वस्‍तु का भोग लगाकर प्रसन्‍न किया जा सकता है।

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Chaitra Navratri : देवी चंद्रघंटा की पूजा से होती है अलौकिक सुखों की प्राप्ति

तीसरे नवरात्र के दिन मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना से भक्‍तों को अलौकिक सुखों की प्राप्ति होती है। दिव्‍य सुगंधियों का अनुभव होता है। मन में सकारात्‍मक विचार आने के साथ ही मधुर ध्‍वनियों का अहसास होता है। मां चंद्रघंटा का स्‍वरूप स्‍वर्ण के समान चमकीला है। देवी के तीन नेत्र और दस हाथ हैं। ये ज्ञान से जगमाने वाली देवीं हैं।इनका वाहन सिंह है। ये चक्र, त्रिशूल, बाण,खडग और खप्‍पर के साथ युद्ध में जाने को उन्‍मुख हैं।

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मां चंद्रघंटा की पूजा से होता है समस्‍त पापों का नाश

मां चंद्रघंटा के पूजा और दर्शन मात्र से ही लोगों के सर्वस्‍व पाप एवं दुखों का नाश होता है। ये प्रेतबाधा से रक्षा करतीं हैं। मनुष्‍य को आध्‍यात्मिक प्राप्ति होती है और अच्‍छे कर्मों की ओर अग्रसर होता है। इस दिन भक्‍तों को भूरे रंग के वस्‍त्र धारण करने चाहिए। देवी को अपना वाहन सिंह बहुत प्रिय हैं इसलिए गोल्‍डन रंग के वस्‍त्र पहनना भी उत्‍तम है। मां की पूजा के बाद उन्‍हें सफेद वस्‍तु खीर, दूध अथवा शहद का भोग लगाएं।

तृतीय देवी मां चंद्रघंटा का महामंत्र

‘या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नसस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:‘

तृतीय देवी मां चंद्रघंटा का बीज मंत्र

‘ऐं श्रीं शक्तयै नम:’

तृतीय देवी मां चंद्रघंटा का स्त्रोत मंत्र

ध्यान वन्दे वाच्छित लाभाय चन्द्रर्घकृत शेखराम।

सिंहारूढा दशभुजां चन्द्रघण्टा यशंस्वनीम्घ

कंचनाभां मणिपुर स्थितां तृतीयं दुर्गा त्रिनेत्राम।

खड्ग, गदा, त्रिशूल, चापशंर पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्घ

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्यां नानालंकार भूषिताम।

मंजीर हार, केयूर, किंकिणि, रत्‍‌नकुण्डल मण्डिताम्घ

प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुग कुचाम।

कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटिं नितम्बनीम्घ

स्तोत्र आपद्धद्धयी त्वंहि आधा शक्तिरू शुभा पराम।

अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यीहम्घ्

चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्ट मंत्र स्वरूपणीम।

धनदात्री आनंददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्घ

नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायनीम।

सौभाग्यारोग्य दायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्घ्

कवच रहस्यं श्रणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।

श्री चन्द्रघण्टास्य कवचं सर्वसिद्धि दायकम्घ

बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोद्धरं बिना होमं।

स्नान शौचादिकं नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिकमघ

कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च।

तृतीय देवी मां चंद्रघंटा का उपासना मंत्र

पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते महयं चन्दघण्टेति विश्रुता।।

Chaitra Navratri 2022: नवरात्र में मां की पूजा ज्‍वारे बिना अधूरी, ज्‍वारे के अलग-अलग रंग बताते हैं शुभ-अशुभ का संकेत

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