केंद्र सरकार ने सेना के सहायक सिस्टम का बचाव किया है। राज्यसभा में सरकार की ओर से रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने कहा, “सेना के सहायक अधिकारियों को जंग और शांति के दौरान मदद करते हैं। वे लड़ने वाले जवान होते हैं। उनसे नौकरों की तरह काम न लिया जाए। इसके लेकर पहले भी सहायकों को घरेलू काम में नहीं लगाए जाने के निर्देश जारी होते रहे हैं। ऐसा करना जवान की आत्मसम्मान के खिलाफ है।” दरअसल, पिछले दिनों अधिकारियों की ओर से सहायकों से गुलामों की तरह घरेलू काम कराने को लेकर उठे विवाद पर सरकार का बयान सामने आया है।

कुछ दिनों पहले एक स्टिंग वीडियो सामने आने के बाद महाराष्ट्र के दियोलाली कैंट में सहायक रॉय मैथ्यू को फांसी में लटका पाया गया था। सोशल मीडिया में वायरल हुए इस वीडियो में रॉय ने अधिकारियों की ओर से घरेलू काम कराने की बात कही थी। इसके बाद एक और जवान ने वीडियो पोस्ट कर सहायकों से घरेलू काम कराने की आलोचना की थी। जवान ने कहा कि सेना के अधिकारी सहायकों से गुलामों की तरह बर्ताव करते हैं।

भामरे ने कहा कि “सहायक सिर्फ सेना की ड्यूटी के लिए होते हैं। जो अपने अधिकारियों और जूनियर कमीशन्ड अफसर (जेसीओ) की युद्ध और शांति के वक्त मदद करते हैं। इसके लिए उसे बाकायदा काम दिया जाता है।” हालांकि नौसेना और वायुसेना में सहायक को रखने की व्यवस्था नहीं दी गयी है।

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