दिल्ली में एमसीडी चुनावों में मिली जीत से भाजपा काफी खुश है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मंगलवार को पार्टी के एमसीडी के नए पार्षदों से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान शाह ने कहा, ‘आप सभी को एमसीडी चुनाव में भाजपा की शानदार जीत के लिए बधाई, इस जीत ने नेगेटिव और बहानेबाजी की पॉलिटिक्स को रोकने का काम किया है। यह जीत नेगेटिव सोच रखने वाली पार्टियों और नेताओं के लिए एक सबक है।’

अमित शाह ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘हमारी पार्टी के विरोधी लोग बहुत ताक लगाकर बैठे थे, उन्हें उम्मीद थी कि मोदी जी का विजय रथ शायद दिल्ली में अटक जाए, लेकिन दिल्ली के कार्यकर्ताओं के जुनून और उनकी रणनीति के कारण ये विजय रथ और आगे निकल गया। दिल्ली की जनता का दिल से आभार प्रकट करना चाहता हूं। इस जीत ने सब चीजों में कुछ न कुछ कमी ढूंढने की जो शुरुआत हुई थी, उसे भी समाप्त कर दिया। इस जीत ने भाजपा के जिम्मेदारी को बहुत बढ़ा दिया है।’

उन्होंने आगे कहा कि ‘चुनाव न लड़ने वाले पार्षद यहां हैं, हारे हुए प्रत्याशी भी यहां हैं और जीतने वाले भी यहां हैं, लेकिन मेरे लिए इन तीनों में कोई भेद नहीं है। पार्षदों को टिकट न देने का फैसला भाजपा के अलावा कहीं और संभव नहीं। मैं पुराने पार्षदों का दिल की गहराइयों से अभिनंदन करना चाहता हूं।’

यहां जो भी दिल्ली के पार्षद बैठे हैं, उन्हें बताना चाहता हूं कि हमारा लक्ष्य एमसीडी का चुनाव नहीं था, यह सिर्फ दिल्ली में सरकार बनाने की नींव है, इसे ध्यान में रखकर काम करें, दिल्ली एमसीडी की नई टीम हर पल इस बात को याद रखे कि अगली दिल्ली विधानसभा की नींव आपको अपने काम से डालनी है।

अमित शाह ने कहा, ‘हमारे सामने एक अच्छा उदाहरण है, 2014 के चुनाव में देश की जनता ने मोदी जी को एक बड़ा समर्थन दिया। जनता आंख मूंदकर मोदी पर भरोसा कर रही थी, किसी ने हमसे कोई सवाल नहीं पूछा था कि देश की स्थिति को सुधारने के लिए आप क्या करोगे। किसी ने हमसे वचन नहीं मांगा था। मगर जब जनादेश मिला और पीएम को चुनने की मीटिंग हुई तो मोदी जी ने कहा कि मेरी यह सरकार गरीबों की सरकार है, बेरोजगार, किसानों को समर्पित सरकार है, देश का मान दिल्ली में बढ़े, ये सारी बातें मोदी जी ने सरकार बनने के बाद की। तीन साल बाद हम देखते हैं कि इन सारे बिंदुओं को मोदी जी ने छुआ है, जो लचर इकॉनोमी हमें मिली, आज सबसे तेजी से बढ़ने वाली हमारी इकॉनोमी है, इसे दुनिया स्वीकारती है।’

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