उत्तर के राज्यों बिहार और यूपी में बीजेपी के खिलाफ बनते सियासी गठजोड़ ने मोदी और शाह की परेशानी पर बल ला दिया है। ऐसे में भविष्य में होने वाले सीटों के नुकसान को देखते हुए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पूर्वोत्तर के मिशन पर हैं। जहां न तो सपा, बसपा और न ही आरजेडी या जेडीएस का कोई वजूद दिखता है। जबकि, बीजेपी पूर्वोत्तर के राज्यों में लगातार अपनी पैठ मजबूत बना रही है। पूर्वोत्तर के दो बड़े राज्यों असम और त्रिपुरा में बड़ी जीत से बीजेपी मजबूत हालत में है। ऐसे में बीजेपी की नजरें साल 2019 में होने वाले आम चुनाव पर हैं और पार्टी का लक्ष्य पूर्वोत्तर की 25 सीटें हासिल करना है।

अपनी रणनीतियों को जमीन पर उतारने और उत्तर-पूर्व के नेताओं और कार्यकर्ताओं तक बीजेपी की पहुंचाने के लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने गुहावटी में 13 क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं वाले नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस के नेताओं को संबोधित किया। और पूर्वोत्तर के पिछड़ेपन और बदहाली के लिए कांग्रेस सरकारों को जिम्मेदार बताया। कहा कि आजादी से पहले असम की जीडीपी देश में सबसे ज्यादा थी।लेकिन आजादी के बाद पूर्वोत्तर लगातार पिछड़ता गया। जबकि, आजादी के बाद से पूर्वोत्तर में कांग्रेस की सरकारें रही।

शाह पहले भी कांग्रेस को पूर्वोत्तर की बदहाली के लिए कटघरे में खड़ा करते रहे हैं। उन्होंने कहा भी था कि, पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने चार साल में पूर्वोत्तर राज्यों के विकास के लिए कांग्रेस के 65 साल से ज्यादा काम किया है। बीजेपी ने 2016 के असम चुनाव के दौरान क्षेत्रीय पार्टियों के समूह नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रैटिक अलायंस को बनाया था। इसका मकसद कांग्रेस को रोकना है।

बीजेपी बखूबी जानती है कि विरोधियों के एकजुट होने और अपनों की बगावत से उसे हिंदी भाषी राज्यों में मुश्किल होगी। ऐसे में उसकी नजर पूर्वोत्तर के मिजोरम पर है, जहां कांग्रेस की सरकार है। यहां दिसंबर में चुनाव होने हैं।ऐसे में बीजेपी का अगला लक्ष्य मिजोरम है। जहां जीत का पताका फहराकर वह कांग्रेस को पूर्वोत्तर के सियासी आसमान से मिटाने की ताक में है।

कुमार मयंक एपीएन

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