बीएसपी सुप्रीमो मायावती को विधानसभा चुनाव 2017 में मिली हार शायद स्वीकार नहीं हो रही है। यूपी चुनाव में बसपा सिर्फ 19 सीटों पर सिमट गई। इससे अब साफ जाहिर होता है कि बसपा का यह आखिरी मौका था जिसे वह खो चुके हैं।
इस चुनाव में मायावती का अल्पसंख्यक जातियों का एजेंटा कुछ काम नहीं आया। मायावती की हिम्मत की दाद देनी होगी कि वह बीजेपी से मिली करारी हार के बाद भी जनता के सामने निशाना साधना नहीं भूली। लखनऊ में जनसभा करके मायावती ने बीजेपी को आड़े हाथ लेते हुए कहा की बीजेपी ने ईवीएम मशीन के साथ छेड़खानी की है। वोट बसपा और सपा को पड़ने थे पर छेड़खानी के चलते बीजेपी को ही पड़े। मायावती ने इस चुनाव को रद्द करने की बात की, साथ ही कहा की अब फिर से बैलेट पर चुनाव हो।
मायावती ने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है की बीजेपी ने एक भी मुसलमान को टिकट नहीं दिया पर फिर भी मुस्लिम क्षेत्र में भी बीजेपी को भारी वोट मिले। मायावती ने कहा कि वोटिंग मशीन के साथ गड़बड़ी करके बीजेपी ने लोकतंत्र की हत्या की है। इससे पहले भी 2014 के चुनाव में बीजेपी द्वारा वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ करने के मुद्दे उठाए गए थे। मायावती ने चुनाव आयोग से ईवीएम मशीनों की जांच करने की मांग कही है।
मायावती ने इस विधानसभा चुनाव के तहत 100 मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया था लेकिन चुनाव परिणाम देखकर यह साफ हो गया कि उनकी यह तकनीक पूरी तरह से फेल हो गई और यूपी की जनता को पीएम मोदी की लहर ने अपनी तरफ मोड़ लिया। दरअसल यह भी कहा जा सकता है कि मायावती ने इस चुनाव में कोई नया तरीका नहीं अपनाया था। इसका सबसे बड़ा नुकसान यह भी हुआ की दलित वोटबैंकों पर मायावती की पकड़ कमजोर हो गई है।
चुनाव के नतीजो से मायावती और बसपा के राजनीतिक भविष्य पर प्रश्न चिह्न लग गया है।