बीजेपी विरोधियों से ज्यादा अपने बयान बहादुरों से परेशान है। नेता विवादित बयान की बीज बोकर विपक्ष को मौका दे देते हैं और पार्टी को जवाब देने में नहीं बनती। इस बार  यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने बदजुबानी की तीर छोड़ा है। दिनेश शर्मा रामायण काल का ज्ञान जनता को दे रहे थे। उन्होंने ऐसे ऐसे उदाहरण पेश किए जो विवादों का रूप ले लिया। शर्मा ने कहा सीता जी टेस्ट ट्यूब तरीके से पैदा हुई थी। इसके लिए उन्होंने तर्क दिया कि सीता जी घड़े से निकली थी। जो उस वक्त टेस्ट ट्यूब से बच्चे पैदा करने का एक तरीका था। उप-मुख्यमंत्री ने और भी कई महान महान ज्ञान दिए हैं।

दिनेश शर्मा अकेले बीजेपी नेता नहीं हैं जो इस तरह के ज्ञान देते हैं।  त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने महाभारत के दौर में भी इंटरनेट, सैटेलाइट तकनीक की बात कही थी।उनके मुताबिक संजय ने हस्तिनापुर में बैठकर धृतराष्ट्र को बताया था कि कुरुक्षेत्र के मैदान में युद्ध में क्या हो रहा है।

2014 में एक निजी अस्पताल के उद्घाटन के मौके पर पीएम मोदी ने कहा था कि, ‘विश्व को प्लास्टिक सर्जरी का कौशल भारत की देन है। उन्होंने कहा था कि दुनिया में सबसे पहले गणेश जी की प्लास्टिक सर्जरी हुई थी। केन्द्रीय मंत्री और पूर्व आईपीएस अधिकारी सत्यपाल सिंह एक आयोजन में दावा किया था कि मानव के क्रमिक विकास का चार्ल्स डार्विन का सिद्धांत ‘वैज्ञानिक रूप से गलत है’ और स्कूल व कॉलेज पाठ्यक्रम में इसे बदलने की ज़रूरत है। राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत पर ही दावा करते हुए कहा कि ये सिद्धांत न्यूटन से एक हज़ार वर्ष पूर्व ब्रह्मगुप्त द्वितीय ने दिया था।

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने पौराणिक चरित्र नारद मुनि और सर्च इंजन गूगल के बीच एक समानता की बात कही थी।विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने दावा किया था कि महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग भारतीय वेदों को अल्बर्ट आइंस्टाइन की महान थ्योरी और सिद्धांत E=mc2 से काफी बेहतर मानते थे।

बीजेपी के कई नेता बयान देते रहते हैं। कई बार कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी ने सपा, बसपा के शीर्ष नेताओं की रावण और दूसरे पौराणिक पात्रों से तुलना की थी. जिसे लेकर विधानमंडल के बजट सत्र में जबरदस्त हंगामा हुआ, इसके बाद सरकार की मुश्किलें बढ़ी थीं. इस बार डिप्टी सीएम के बयानों से सरकार की किरकरी हुई है। अब सवाल उठता है नेता ऐसा बयान क्यों देते हैं जिससे किरकिरी हो।

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