बीएचयू विवाद में अब कार्रवाईयों का दौर चल रहा है। जहां वाराणसी पुलिस कमिश्नर की जांच पूरी हो चुकी है, रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी गई है वहीं खबर है कि वाइस चांसलर गिरीश चंद्र त्रिपाठी को दिल्ली तलब किया गया है और उन्हें अब लंबी छुट्टी पर भेजा जा सकता है।
दरअसल बीएचयू में छेड़खानी मामले में कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण ने रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में कमिश्नर ने बवाल बढ़ने के लिए बीएचयू प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। वाराणसी कमिश्नर गोकर्ण ने चीफ सेकेट्ररी राजीव कुमार को दी गई अपनी रिपोर्ट में बताया कि बीएचयू के प्रशासन ने पीड़ित की शिकायत पर ढंग से कार्रवाई नहीं की और ना ही हालात को सही तरीके से संभाला गया।
सूत्रों के की माने तो एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बीएचयू प्रशासन ने अगर धरने के पहले दिन ही छात्र-छात्राओं से संवाद किया गया होता तो परिसर में उपद्रव के हालात नहीं बनते। संवाद न होने से नाराजगी बढ़ गई और आंदोलन बढ़ गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि कानून व्यवस्था ठीक होने और धरना शांतिपूर्ण होने का दावा करते हुए प्रशासनिक अधिकारियों ने भी पूरे मामले से दूरी बनाए रखी। जिला प्रशासन ने भी यदि शुरुआत में ही बीएचयू प्रशासन से वार्ता कर हल निकालने की कोशिश की होती तो छात्राओं की सुरक्षा की मांग को लेकर शुरू हुआ आंदोलन उग्र नहीं होता।
बता दें कि सोमवार को ही बीएचयू की घटना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात की है और जरूरी कदम उठाने को कहा है। वहीं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि पीएम और बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सीएम योगी से बात करके मामले का समाधान निकालने की मांग की है।
इलके अलावा विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक और बड़ी गलती कर दी है। नाकामियों के बीच अपना चेहरा छिपाने की कोशिश में जुटा बीएचयू प्रशासन छेड़छाड़ से पीड़ित लड़की का चेहरा ही सबके सामने ले आया। दरअसल बीएचयू प्रशासन ने प्रेस रिलीज़ जारी कर अपनी सफाई पेश की थी जिसमें विश्वविद्यालय ने कहा, ”छेड़छाड़ से पीड़ित लड़की खुद आंदोलन के पक्ष में नहीं थी बल्कि उसपर दबाव बनाकर उसे धरना देने को मजबूर किया गया है। पर खुद पर लगे दाग धोने की कोशिश में लगा विश्वविद्यालय प्रशासन इस दावे के साथ पीड़ित लड़की की पहचान जाहिर कर दी और इक नई मुसीबत मोल ले ली है।
उधर दिल्ली में हुई बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में भी बीएचयू का मुद्दा चर्चा में रहा। जिसके बाद बीएचयू वाइस चांसलर गिरीश चंद्र त्रिपाठी की मुश्किलें बढ़नी तय मानी जा रही हैं। संघ सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल का करीबी होने की वजह से उनपर हाल फिलहाल कोई बड़ी कार्रवाई न हो, मगर उनके सेवा विस्तार का मामला खटाई में पड़ सकता है।
हालांकि बीएचयू वाइस चांसलर पद पर त्रिपाठी का कार्यकाल 25 नवंबर तक है पर खबरों की मानें तो खुद पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मामले में दखल दिया, जिसके बाद मानव संसाधन मंत्रालय उन्हें छुट्टी पर भेजे जाने का फैसला ले सकता है। बीएचयू एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है और वाइस चांसलर का पद संवैधानिक है इसलिए वीसी को हटाने पर राष्ट्रपति ही फैसला ले सकते हैं। इसके अलावा प्रोफेसर त्रिपाठी का नाम यूजीसी के चेयरमैन की रेस में भी था लेकिन इस विवाद के बाद उनका नाम लिस्ट से कट सकता है।