उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या के विवादित राम जन्मभूमि स्थल पर पूजा करने के अपने मौलिक अधिकारों की मांग संबंधी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका की त्वरित सुनवाई से मंगलवार को इन्कार कर दिया। स्वामी ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की खंडपीठ के समक्ष मामले का विशेष उल्लेख करते हुए त्वरित सुनवाई का अनुरोध किया, लेकिन खंडपीठ ने उन्हें बाद में आने को कहा। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, “आप बाद में मामले का विशेष उल्लेख करें।” इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि ‘बाद में’ शब्द का व्यापक अर्थ होता है और वह 15 दिन बाद फिर मामले का उल्लेख करेंगे।

इससे पहले मई में भी सुब्रह्मण्यम स्वामी ने इसी तरह का अनुरोध लेकर शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उस समय न्यायालय ने उन्हें जुलाई में इस मामले को उसके समक्ष रखने को कहा था। उसी सलाह के तहत भाजपा नेता शीर्ष अदालत के समक्ष पहुंचे थे, लेकिन आज भी उन्हें निराशा हाथ लगी।

नई दिल्ली, 03 जुलाई (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या के विवादित राम जन्मभूमि स्थल पर पूजा करने के अपने मौलिक अधिकारों की मांग संबंधी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका की त्वरित सुनवाई से मंगलवार को इन्कार कर दिया।

स्वामी ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की खंडपीठ के समक्ष मामले का विशेष उल्लेख करते हुए त्वरित सुनवाई का अनुरोध किया, लेकिन खंडपीठ ने उन्हें बाद में आने को कहा। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि आप बाद में मामले का विशेष उल्लेख करें।” इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि ‘बाद में’ शब्द का व्यापक अर्थ होता है और वह 15 दिन बाद फिर मामले का उल्लेख करेंगे। इससे पहले मई में भी श्री स्वामी ने इसी तरह का अनुरोध लेकर शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उस समय न्यायालय ने उन्हें जुलाई में इस मामले को उसके समक्ष रखने को कहा था। उसी सलाह के तहत भाजपा नेता शीर्ष अदालत के समक्ष पहुंचे थे, लेकिन आज भी उन्हें निराशा हाथ लगी।

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