सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने अवैध प्रवासियों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उनका यह बयान ऐसे समय पर आया है जब नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) में अपना नाम शामिल करने के लिए केवल तीन हफ्तों का समय बचा है। रावत ने कहा कि वह एनआरसी का समर्थन करते हैं और जो पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं वह राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर कर रही हैं। टाइम्स नाऊ को दिए इंटरव्यू में सेनाध्यक्ष ने कहा कि भारतीय सेना द्वारा किए जाने वाली नकली मुठभेड़ और मानवाधिकार के उल्लंघन की बातें झूठी हैं।

उन्होंने कहा कि वह उन लोगों को वापस भेजे जाने का समर्थन करते हैं जो गैरकानूनी तरीके से भारत में आए हैं। रावत ने कहा, ‘यदि वह अवैध हैं तो उन्हें वापस भेजे जाने की जरूरत है। यदि वह वैध हैं तो उन्हें अपने में मिला लेना चाहिए। यह एकीकरण इस तरह होना चाहिए जिसका सभी को फायदा मिले। इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिेए।’ रावत का मानना है कि कुछ राजनीतिक पार्टियां अवैध प्रवासियों की मदद कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘कुछ ऐसे संस्थान हैं जिन्होंने उन्हें सिस्टम में मिला दिया है। कुछ ऐसे लोग हैं जो अवैध रूप से आए हैं उनके पास नागरिकता नहीं है लेकिन कुछ ऐसे लोग हैं जो नागरिकता हासिल करने की कोशिश में है।’

फरवरी में रावत ने असम के सांसद बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के बढ़ने को लेकर बात की थी। उन्होंने कहा था, ‘एक पार्टी है जिसका नाम एआईयूडीएफ है। वह भाजपा से भी ज्यादा तेजी से बढ़ी है।’ सेनाध्यक्ष ने मानवाधिकार उल्लंघन के मामले में सेना का बचाव किया है। उन्होंने उन लोगों और संस्थाओं के खिलाफ जांच करने की जरूरत बताई जो जवानों के खिलाफ झूठे केस दर्ज करवाते हैं ताकि सेना की छवि को खराब किया जा सके। उन्होंने कहा, ‘सयम आ गया है कि इस तरह के मामले दर्ज करवाने वाले लोगों की जांच की जाए।’

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