लोकसभा चुनाव से पहले ही सियासी पार्टियां जोर आजमाइश शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी बिगुल बजने से पहले ही चुनावी तैयारी शुरू कर दी है। मोदी तारीख का ऐलान होने से पहले देश भर में 50 रैलियां करने वाले हैं जिसकी शुरूआत मोदी ने कर दी है। वहीं मोदी को चुनावी महाभारत में मात देने के लिए विपक्ष ने भी तैयारी शुरू कर दी है। मायावती और अखिलेश के बीच गठबंधन पर बसपा कार्यकर्ताओं ने चर्चा की। मायावती को पीएम बनाने को लेकर प्रस्ताव पास हुआ लेकिन अभी माया की मुहर नहीं लगी है। लखनऊ और कानपुर मंडल कार्यकर्ता सम्मेलन में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा, नेशनल कोऑर्डिनेटर जयवीर सिंह और जयप्रकाश सिंह की अगुवायी में मंडलीय समेलन हुआ।

मोदी और शाह की जोड़ी ने बसपा और सपा को हाशिये पर ला दिया था। 2014 में मोदी के सुनामी में दोनों पार्टियां बह गई थी। इसलिए मोदी को मात देने के लिए दोनों पार्टियां अब गिले शिकबे भुलाकर एक साथ चुनाव लड़ने को तैयार हैं। क्योंकि दोनों पार्टियों का एक ही मकसद है मोदी को किसी भी हाल में रोकना। पिछले साल 41 फीसदी वोट के साथ बीजेपी को प्रचंड बहुमत भले ही मिला था। लेकिन सपा के 28 और बसपा के 22 फीसदी वोटों को मिला दें तो पचास फीसदी शेयर हो जाते हैं। उप-चुनाव में दोनों पार्टियां ने ट्रेलर दिखा ही दिया है। लेकिन बीजेपी को विश्वास है कि इस बार भी पार्टी प्रदर्शन दोहराएगी।

बबुआ-बुआ की दोस्ती से बीजेपी के माथे पर बल ला दिया है। बसपा के मंडलीय सम्मेलन में जो भी प्रस्ताव पास हुए हैं उस पर मायावती की मुहर लगना बाकी है। लेकिन सवाल ये है कि अखिलेश अपने पिता मुलायम को पीएम बनाना चाहते हैं,बसपा मायवती को पीएम बनाना चाहती है। सीट पर अभी बात नहीं हुई। अखिलेश अपने और पिता की सीट का ऐलान कर चुके हैं। अब देखना होगा कि कौन किसके लिए क्या क्या कुर्बानी देता है ?

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