Allahabad High Court: वर्चुअल सुनवाई से नाराज़ वकीलों का अनशन जारी, परिसर से पुलिस बल हटाने की मांग

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Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट परिसर में प्रवेश से वकीलों को रोका गया है। कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण इलाहाबाद हाईकोर्ट में अब केवल वर्चु्अल सुनवाई वाले फैसले से वकील नाराज हैं। वकील लगातार अदालत के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। बता दें कि हाईकोर्ट ने वकीलों को परिसर में प्रवेश से रोकने के लिए रोकने के लिए पुलिस फोर्स लगाया है। इसके बाद से वकीलों का गुस्सा और बढ़ गया है। बुधवार को बड़ी संख्या में वकीलों ने अनशन स्थल पर पहुंच कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले का विऱोध किया।

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अनशन पर बैठे बार के पूर्व संयुक्त सचिव अभिषेक शुक्ल व संजीव सिंह ने कहा कि वकीलों को रोकने के लिए तैनात फोर्स को तत्काल हटाया जाए, नहीं तो वकीलों का यह आंदोलन बड़ा रूप ले लेगा। अनशनकारी वकीलों का कहना है कि हाईकोर्ट में केवल वर्चुअल सुनवाई के वकील तब तक विरोध करेंगे, जब तक इसके साथ अदालत में फिजिकल सुनवाई भी शुरू नहीं हो जाती।

Allahabad High Court:”फिजिकल सुनवाई शुरू होने पर ही अनशन होगा खत्म

बता दें कि चीफ जस्टिस ने आदेश दिया है कि हाईकोर्ट में सिर्फ वर्चुअल सुनवाई ही होगी। कोरोना के केसों में बढ़ोतरी को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में फिजिकल सुनवाई को पूरी तरीके से बंद कर दिया गया है।  वहीं वकीलों को भी परिसर में जाने से रोक दिया गया है। अब इस फैसले के विरोध में वकील विगत दो दिनों से क्रमिक अनशन कर रहे है। बुधवार को हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के पूर्व चेयरमैन वकील अमरेन्द्र नाथ सिंह अपने समर्थकों के साथ आकर अभिषेक शुक्ला पूर्व संयुक्त सचिव प्रशासन एवं संजीव कुमार सिंह पूर्व सचिव लाइब्रेरी द्वारा चलाए जा रहे अनशन को अपना समर्थन प्रदान किया।

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“न्याय का मंदिर बंद किया जाना लोकतंत्र में न्याय की हत्या के समान”

वकीलों ने कहा कि हम किसी भी कीमत पर सिर्फ वर्चुअल सुनवाई के पक्षधर नहीं हैं। अभिषेक शुक्ला ने कहा कि न केवल अधिवक्ता बल्कि प्रदेश की आम जनमानस के लिए भी न्याय का मंदिर बंद किया जाना लोकतंत्र में न्याय की हत्या के समान है। संजीव कुमार सिंह ने कहा कि भारी पुलिस बल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को जो छावनी के रूप में परिवर्तित कर दिया है। हमनें चीफ जस्टिस से निवेदन किया कि तत्काल प्रभाव से इस पुलिस बल को हाईकोर्ट के पास से हटाया जाए, नहीं तो यह क्रमिक अनशन एक वृहद आंदोलन का रूप लेगा।  

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